Saturday, 28 April 2018

गायत्री भाभी की चूत का समागम

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शादीशुदा की छोटी चूत के जलवे

शादीशुदा की छोटी चूत के जलवे



हैल्लो दोस्तों, किसी लड़की को गैर मर्द के साथ अकेला नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि मर्द उसे पकड़कर चोदने की ही सोचेगा, कैसे इसकी चूत में अपना लंड डाल दूँ? यही ख्याल उसके मन में आते रहेंगे। दोस्तों मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था। फिर एक दिन में अपने घर में अकेला था, मेरी बीवी मायके गयी हुई थी और बच्चे स्कूल गये थे। मैंने घर में कुछ जरूरी काम करने के लिए ऑफिस से छुट्टी ले रखी थी।
फिर करीब 11 बजे डोर बेल बजी तो मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने मानों एक अप्सरा खड़ी थी। वो 28-29 साल की ग़ज़ब की सांवली और सुंदर औरत साड़ी पहने हुए और हाथों में कागज और कलम लिए हुए कोयल की आवाज में बोली कि माफ़ कीजीएगा, क्या बहनजी है? तो मैंने कहा कि जी नहीं, इस वक़्त तो सिर्फ़ में ही हूँ, आप कौन है? अब उसके सिर पर पसीने की कुछ बूंदे थी तो वो बोली कि जरा एक गिलास पानी मिलेगा? तो मैंने कहा कि हाँ, क्यों नहीं? फिर वो जरा सा अंदर आई। फिर मैंने पानी का गिलास देते हुए उससे पूछा कि क्या बात है? आप कौन है? तो वो पानी पीकर बोली कि जी में एक सर्वे पर हूँ, क्या आप मेरे कुछ प्रश्नों का जवाब दे देंगे? तो मैंने कहा कि जी कोशिश कर सकता हूँ, आप प्लीज यहाँ बैठ जाइए, तो वो सोफे पर बैठ गयी। अब हमारे घर का दरवाज़ा अभी खुला ही था तो मैंने दूसरे सोफे पर बैठकर कहा कि हाँ पूछिए।
तो वो बोली कि जी मुझे एक कन्ज़्यूमर कंपनी ने सर्वे के लिए भेजा है, आप लोग अपने घर की जरूरत की चीज़ों को कहाँ से खरीदते है? और फिर वो इस तरह से सवाल पर सवाल पूछती रही और में उसके जवाब देता गया। हमारे कमरे की बड़ी खिड़की से तेज हवा आ रही थी और दरवाज़ा काफ़ी हिल रहा था। फिर कुछ देर के बाद मैंने पूछा कि इस तरह के मौसम में भी आप क्या सब घरों में जाकर सर्वे करती है? तो वो बोली कि जी जॉब तो जॉब ही है ना। तभी मैंने पूछा कि आप शादीशुदा होकर (उसके माथे पर सिंदूर था) भी जॉब कर रही है? अब वो भी थोड़ी सी खुल सी गयी थी और बोली कि क्यों शादीशुदा औरत जॉब नहीं कर सकती क्या? तो में बोला कि जी यह बात नहीं है, घर-घर जाना, जाने किस घर में कैसे लोग मिल जाएँ? तो तभी उसने जवाब दिया वैसे तो दिन के वक़्त ज़्यादातर हाउसवाईफ ही मिलती है, कभी-कभी ही कोई मेल मेंबर होता है।
फिर मैंने उससे पूछा कि तो आपको डर नहीं लगता है? तो वो बोली कि जी अभी तक तो नहीं लगा, फिर आप जैसे शरीफ आदमी मिल जाए तो क्या डर? अब एक बार तो शरीफ आदमी सुनकर मुझे थोड़ा अजीब लगा था। उसे क्या मालूम? में उसे किस नजर से देख रहा था? उसकी साड़ी पर ब्लाउज तना हुआ था और मेरे लंड पर खुजली सी होने लगी थी। अब मेरा जी चाह रहा था की काश इसे सिर्फ़ एक बार चूम सकता और उसके ब्लाउज के नीचे की उन चूचीयों को दबा सकता, उसके हाथों की उंगलियाँ लंबी-लंबी मुलायम सी थी। अब यह सब देख-देखकर मेरे लंड महाराज खड़े हो गये थे। अब मेरे मन में बहुत सारे ख्याल आ रहे थे, क्या गजब की अप्सरा है? इसकी तो चूत को हाथ लगाते ही शायद हाथ जल जाएगा। तभी वो बोली कि अच्छा थैंक्स, अब में चलती हूँ। तभी मानों मेरे ऊपर पहाड़ टूट गया और मैंने सोचा कि यह चली जाएगी तो हाथ से निकल ही जाएगी, अरे विजय साहब हिम्मत करो, आगे बढ़ो, कुछ बोलो ताकि ये रुक जाए, इसकी चूत में अपना लंड नहीं डालना है क्या? चूत में लंड? तो इस ख्याल ने मुझे बड़ी हिम्मत दी और में बोला कि माफ़ कीजिएगा अगर आप बुरा ना माने तो अपना नाम तो बता दीजिए? मैंने डरते हुए कहा। तो वो कोयल सी आवाज में बोली कि इसमें बुरा मानने की क्या बात है? प्रतिमा, प्रतिमा श्रीवास्तव।
फिर मैंने उससे कहा कि प्रतिमाँ जी आप जैसी सुंदर औरत को थोड़ा संभलकर रहना चाहिए। तो वो बोली कि सुंदर और में? तो में थोड़ा सा घबराया, लेकिन फिर हिम्मत करके बोला कि जी सुंदर तो आप है ही, आप बुरा मत मानियेगा, प्लीज, अब तो चाय पीकर ही जाइए। फिर वो बोली कि चाय लेकिन बनाएगा कौन? तो में बोला कि में जो हूँ, कम से कम चाय तो बना ही सकता हूँ। तभी वो हँसते हुए बोली कि ठीक है बनाइए। फिर मैंने हवा में हिलते दरवाज़े को हल्के-हल्के बंद कर दिया और उसका ध्यान हटाने के लिए कहा कि आप प्लीज वहाँ सोफे पर बैठ जाइए और टी.वी ऑन कर लीजिए।
फिर मैंने किचन में जाकर चाय के लिए बर्तन गैस पर रखा और पानी डाला और गैस ऑन किया और फ्रिज से दूध निकाला और थोड़ा सा दूध पानी में मिलाया। अब में चाय के उबलने का इंतजार कर रहा था और इधर मेरा लंड उबल रहा था। अब इतनी सुंदर औरत पास में बैठी थी और मुझे पता नहीं था कैसे आगे बढ़ूँ? तो तभी वो पीछे से आई और बोली कि क्या में आपकी कुछ मदद करूँ? फिर मैंने जवाब दिया कि बस देख लीजिए की चाय ठीक बन रही है या नहीं। फिर मैंने और हिम्मत करके कहा कि प्रतिमा जी, आप वाकई में बहुत सुंदर है और बहुत अच्छी भी, आपके पति बहुत ही खुशनसीब इंसान है। फिर वो बोली कि आप प्लीज अब बार- बार ऐसे ना कहिए और मुझे प्रतिमा जी क्यों कह रहे है? में तो आपसे छोटी हूँ। दोस्तों मेरे लिए यह हिंट काफ़ी था, क्योंकि अगर औरत नहीं चाहे तो उसे चोदना बड़ा मुश्किल है, आख़िर मुझे रेप तो करना नहीं था।
अब में समझ गया था कि यह अब चुदवाने के लिए तैयार है तो तभी में बोला कि ठीक है प्रतिमा जी, नहीं प्रतिमा तुम कितनी सुंदर हो, में बताऊँ? तो तभी वो बोली कि आपने कई बार कहा तो है, अब भी बताना बाकी है क्या? तो में बोला कि बाकी तो है और यह कहकर मैंने गैस बंद किया और उससे बोला कि बस एक बार अपनी आखें बंद करो, प्लीज, तो उसने अपनी आखें बंद की। फिर मैंने कहा कि अपनी आँखें बंद ही रखना और में उसको कंधो के पास से पकड़कर आहिस्ते-आहिस्ते कमरे में लाया और फिर मैंने हल्के से उसके गुलाबी-गुलाबी, नर्म-नर्म होंठो पर अपने होंठ रख दिए, तो मेरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ गयी। अब मेरा लंड एकदम तन गया था और मेरी पेंट से बाहर आने के लिए तड़पने लगा था। फिर उसने तुरंत अपनी आखें खोली और शॉक से मुझे देखती रही और फिर दोस्तों कसकर और शर्माकर मेरी बाँहों में आ गयी, तो मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।


अब मैंने उसे कसकर अपनी बाँहों में दबोच लिया था। अब मुझे ऐसा लग रहा था कि बस उसे ऐसे ही पकड़े रहूँ। फिर मैंने सोचा कि अब समय खराब नहीं करना चाहिए, पका हुआ फल है बस खा लो। फिर मैंने तुरंत उसे अपनी बाँहों उठाया (वो बहुत ही हल्की थी) और बेडरूम में लाकर बिस्तर पर लेटाया। अब उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी, अब वो बहुत शर्मा रही थी। अब साड़ी पहने हुए बिस्तर पर लेटी हुई, शरमाती हुई, आँखें बंद किए हुए, उसके ब्लाउज से उसके बूब्स ऊपर नीचे होते हुए देखकर में पागल हो गया था। फिर मैंने आहिस्ते से उसकी साड़ी को एक तरफ करके उसकी दाहिनी चूची को ऊपर से ही दबाया तो उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गयी और वो अपनी बंद आँखों से ही बोली कि प्लीज विजय साहब जल्दी से, कोई आ नहीं जाए। तो में बोला कि घबराओं नहीं प्रतिमा डार्लिंग, बस मज़ा लेती रहो, आज में तुम्हे दिखा दूँगा प्यार किसे कहते है? खूब चोदूंगा मेरी रानी।

अब में एकदम फॉर्म में था और यह कहते हुए मैंने उसकी चूचीयों को खूब दबाया और उसके होंठो को कस-कसकर चूसने लगा। फिर मैंने उससे पूछा कि चुदवाओगी ना? तो वो गजब की शरमाते हुए बोली हाँ विजय साहब, आप भी बहुत बेशर्म है। तो में बोला कि प्रतिमा रानी सेक्स में क्या शरमाना? और उसके नर्म-नर्म गालों को अपने हाथ में लेकर उसके होंठो का खूब रसपान किया। अब में उसके ऊपर चढ़ा हुआ था और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर था। अब मुझे उसकी चूत महसूस हो रही थी और उसकी चूचीयाँ गजब की तनी हुई थी, जो मेरे सीने में चुभ-चुभकर बहुत ही आनंद दे रही थी। फिर मैंने अपने दाहिने हाथ से उसकी लेफ्ट चूची को खूब दबाया और उत्तेजना में उसके ब्लाउज के नीचे अपना एक हाथ घुसाकर उसे पकड़ना चाहा। तभी बोली कि विजय ब्लाउज खोल दोना। अब उसका यह कहना था और मैंने तुरंत उसे घुमाकर उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए और साथ ही साथ उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और पीछे से ही अपने एक हाथ को उसकी ब्रा के नीचे से उसके बूब्स को पूरा समेट लिया, आह क्या फीलिंग थी? सख्त और नर्म वो दोनों बहुत गर्म थे मानों आग हो, उसके निपल्स एकदम तने हुए थे।
फिर मैंने जल्दी-जल्दी उसके ब्लाउज और ब्रा को हटाया और उसकी साड़ी को पूरा खोल दिया और उसके पेटीकोट के नाड़े को खोलकर उसे हटाया। अब उसे पिंक पेंटी पहने हुए नंगी लेटी हुई देखकर तो में बर्दाश्त ही नहीं कर सका था। फिर उसने शर्माकर अपने बूब्स को छुपाने की कोशिश की और अपनी दोनों टाँगों को क्रॉस करके अपनी चूत को भी छुपाया। फिर मैंने अपने कपड़े जल्दी-जल्दी उतारे, अब मेरा लंड तनकर बाहर आ गया था और ऊपर की तरफ होकर तड़पने लगा था। फिर मैंने उसका एक हाथ लेकर अपने फड़कते हुए लंड पर रख दिया। तभी वो बोली कि उफ़ कितना बड़ा और मोटा है? और आहिस्ता-आहिस्ता मेरे लंड को आगे पीछे हिलाने लगी। शादीशुदा औरत को चोदने का यही मज़ा है कुछ सिखाना नहीं पड़ता, वो सब जानती है और अगर महीने का ठीक दिन हो तो कंडोम की भी जरूरत नहीं पड़ती है। फिर मैंने आख़िर में उससे पूछ ही लिया कि प्रतिमा डार्लिंग कंडोम लगाऊं क्या? तो वो अपना मुँह हिलाते हुए मना करते हुए हँसते हुए खिलखिलाई सब ठीक है।
फिर मैंने उसके बदन से उस पिंक पेंटी को हटाया तो इतने में मैंने उसकी चूत को निहारा। उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे और बीच में सुंदर सा छोटा सा कट था, जो कुछ फूला हुआ था। फिर मैंने अपना एक हाथ उसके ऊपर रखा और हल्के से दबाया और मेरी उंगली ऐसे घुसी जैसे मक्खन में छुरी घुसी हो। अब उसकी चूत से रस बह रहा था और उसकी चूत एकदम गीली थी। अब में जैसे सब कुछ एक साथ कर रहा था कभी उसके होंठो को चूसता, तो कभी उसकी चूचीयों को दबाता, कभी अपने एक हाथ से तो कभी अपने दोनों हाथों से उसकी चूचीयाँ एकदम टाईट गोल और तनी हुई थी। कभी उसके सोने जैसे बदन पर अपने हाथ फैरता। फिर मैंने उसकी चूचीयों को खूब चूसा और अपनी उंगलियों से उसकी चूत में खूब अंदर बाहर करके हिलाया।


फिर मैंने उससे कहा कि प्रतिमा अब में नहीं रह सकता। अब तो चोदना ही पड़ेगा, कस-कसकर चोदूंगा मेरी रानी। फिर मैंने पहली बार उसके मुँह से सुना चोद दीजिए ना विजय साहब, बस चोद दीजिए। तो मैंने मज़ा लेते हुए उससे पूछा कि क्या चोदूं जानेमन? एक बार फिर से कहो ना, तुम्हारे मुँह से सुनने में कितना अच्छा लग रहा है? तो वो बोली कि अब चोदिए ना इस इस चूत को। फिर मैंने कहा कि चूत नहीं बुर मेरी रानी, बुर सुनने में ज़्यादा अच्छा लगता है। अब में तेरी गर्म-गर्म और गुलाबी-गुलाबी चूत में अपना ये लंड घुसाऊंगा और कस-कसकर चोदूंगा। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और हल्के से एक धक्का दिया। तो उसने अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ा और गाइड करती हुई अपनी चूत में डाल दिया। दोस्तों मानों में जन्नत में आ गया था। तो में बोल ही उठा उफ, क्या चूत है? प्रतीमा मज़ा आ गया। तब उसने भी उत्तेजित होकर बगैर झिझके कहा कि चोद दो विजय बस अब इस चूत को खूब चोदो। दोस्तों उसकी चूचीयाँ दबाते हुए, होंठ चूसते हुए, उसे ज़ोर ज़ोर से चोद-चोदकर ऐसा मज़ा मिल रहा था कि मुझे पता ही नहीं चला कि में कब झड़ गया?
फिर झड़ते-झड़ते भी में उसे बस चोदता ही रहा चोदता ही रहा और उससे बोला कि प्रतिमा बहुत टेस्टी चुदाई थी यार, तुम तो गजब की चीज हो। तभी वो मुझे कसकर पकड़ते हुए बोली कि मुझे भी बहुत मज़ा आया विजय साहब। अब उसकी चूचीयाँ मेरे सीने से लगकर एक अलग ही आनंद दे रही थी। दोस्तों फिर 20 मिनट के बाद पहले तो मैंने उसकी चूत को चाटा और उसने हल्के-हल्के मेरे लंड को चूसा और फिर हमने कस-कसकर चुदाई की और इस बार हमें झड़ने में काफ़ी समय भी लगा। मैंने शायद उसकी चूचीयाँ और चूत और होंठ और गाल के किसी भी अंग को चूसे बगैर नहीं छोड़ा था। मुझे इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था, बस वो गजब की चीज थी। फिर कपड़े पहनने के बाद मैंने उसे 500 रुपये दिए, जो कि उसने ना-ना करते हुए शरमाते हुए ले लिए। फिर मैंने उससे पूछा कि प्रतिमा अब तो तुम्हें और कई बार चोदना पड़ेगा। अपनी इस प्यारी सी चूत और प्यारी-प्यारी चूचीयों और प्यारे प्यारे होंठो और प्यारी-प्यारी प्रतिमा डार्लिंग के दर्शन करवाओगी ना? फिर मैंने उसका फोन नंबर ले लिया और उससे कह दिया कि जिस दिन घर पर कोई नहीं होगा में बता दूँगा। अब वो मुझसे फ्री हो गयी थी और बोली कि विजय चिंता मत करो होटल में चूत चुदवाएँगे और फिर मैंने उसे चूमते हुए भेज दिया। फिर हम दोनों को जब कभी भी कोई मौका मिला, तो हमने घर में होटल में खूब चुदाई की और खूब इन्जॉय किया ।।
धन्यवाद …

आंटी की चूत में वीर्य का फव्वारा

आंटी की चूत में वीर्य का फव्वारा


हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम राजेश है, में दिल्ली का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 20 साल है।  नियमित पाठक हूँ। यह मेरा इस साईट पर पहला सेक्स अनुभव है। अब में अपनी जबान में अपनी स्टोरी बताने जा रहा हूँ। मुझे आशा है कि आपको मेरी यह स्टोरी बहुत पसंद आएगी, ये मेरी पहली कहानी है। यह बात आज से 1 साल पहले की है। उस वक्त में कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुका था। में 5 फुट 9 इंच का तंदरुस्त जवान हूँ, मेरा लंड 7 इंच लम्बा और बहुत मोटा है। मेरे सामने वाले घर में एक खूबसूरत आंटी रहती थी, वो 32 साल की थी, 5 फुट 4 इंच लंबी और थोड़ी मोटी थी। उसके बूब्स बहुत ही मस्त थे, उसकी साईज करीब 34 जितनी थी, उसका फिगर साईज 34-30-36 था, वो बहुत ही सेक्सी दिखती थी, उसका नाम रेखा था। उसका घरवाला 40 साल का था, उनके दो बच्चे भी थे। में ज़्यादातर बाहर गाँव पढ़ाई करता था, इसकी वजह से मेरी उनसे ज़्यादा मुलाकात नहीं हो पाई थी, लेकिन अब मेरी पढ़ाई खत्म हो चुकी थी इसलिए में अपने घर पर रहने आया था।
फिर जब सुबह में नहाने के बाद में अपने रूम में आया और कपड़े बदलने लगा और फिर मैंने अपना तोलिया निकाल दिया और चड्डी पहनने लगा था। तो तब एकदम से मैंने मेरी खिड़की में से देखा तो सामने वाली आंटी अपने बरामदे में खड़ी थी और झाड़ू लगा रही थी। फिर उसकी और मेरी नजर एक हुई। फिर उसने मुझे अंडरवेयर पहनते हुए देखा तो में एकदम शर्मा गया और वहाँ से दूर हो गया। फिर मैंने फटाफट से अपने कपड़े पहने और बाहर चला गया। फिर जब में घर वापस आया तो वो आंटी मेरे घर में मम्मी के पास बैठी थी। फिर उसने मुझसे पूछा कि राजू तू कब आया? अब तो तू बहुत बड़ा हो गया है और ऐसा कहकर वो हंसने लगी। में फिर से शर्मा गया और कुछ नहीं बोला।
फिर दूसरे दिन में सुबह में नाहकर निकला और अपने रूम में कपड़े पहनने गया। आज मैंने पहले खिड़की में से देखा तो आंटी नजर नहीं आई इसलिए में आराम से तोलिया निकालकर आराम से अपने कपड़े बदलते रहा। तभी अचानक से सामने वाली खिड़की में से आवाज आई तो मेरी नजर उस खिड़की पर पड़ी। तब मैंने देखा कि वो आंटी वहाँ खड़ी-खड़ी मुझे कपड़े बदलते देख रही थी। अब की बार में नहीं शरमाया, लेकिन मुझे भी मज़ा आया था। फिर दूसरे दिन जब मे नाहकर बाहर निकला तो मैंने जानबूझकर खिड़की खुली कर दी और सामने देखा तो वो आंटी बरामदे में नीचे झुककर झाड़ू लगा रही थी। तो मुझे उसके बूब्स की दरार बहुत साफ दिख रही थी। फिर उसने ऊपर देखा तो हमारी नजर एक हुई तो वो मेरे सामने हंस पड़ी। तो मेरी भी हिम्मत खुल गई और मैंने भी स्माइल दिया। फिर वो वहाँ खड़ी-खड़ी झाड़ू लगाती रही और मुझे देखती रही।
फिर मैंने भी हिम्मत करके मेरा तोलिया निकाल दिया और मेरा लंड उसके सामने बता दिया। वो ये देखकर एकदम घबरा गई और अंदर भाग गई, तो में मन ही मन बहुत खुश हुआ। अब मुझे भी यह सब करना अच्छा लगने लगा था। फिर में अपने मकान की छत पर गया और वहाँ बैठकर अपनी किताब पढ़ने लगा। तब एकदम से मेरी नजर सामने वाले मकान के कमपाउंड में पड़ी तो मैंने देखा तो वो आंटी चौक में बैठकर कपड़े धो रही थी। अब उन्होंने अपने साड़ी को घुटने तक ऊपर चढ़ा रखी थी, उसके पैर बहुत ही सुंदर और सेक्सी दिख रहे थे। अब में पढ़ाई छोड़कर उसको देखने लगा था। अब वो आंटी कपड़े धोते-धोते पूरी भीग गई थी और उसका हाथ जब ऊँचा नीचा होता था तो उसके बूब्स मोहक अदा में हिल रहे थे, जिसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था और धीरे-धीरे पूरा 8 इंच लम्बा हो गया था। फिर आंटी कपड़े धोने के बाद वहाँ चौक में ही नहाने लगी और फिर बाद में उसने अपनी साड़ी निकाल दी और पेटीकोट और ब्लाउज पहनकर नहाने लगी।
अब नहाते-नहाते उसने अपना पेटीकोट अपनी जाँघ तक ऊपर कर दिया था। अब मेरी तो आँख फटी की फटी रह गई थी। में ज़िंदगी में पहली बार ये जलवा देख रहा था। अब मेरा लंड मेरे काबू में नहीं रहा था। अब में पूरी तरह से आंटी को नंगा देखना चाहता था और ये आशा भी मेरी जल्दी ही पूरी होने वाली थी। फिर आंटी ने धीरे से अपना ब्लाउज भी निकाल दिया और उसे भी धोने लगी। तब मैंने उसके बड़े-बड़े बूब्स देखे तो मेरी आँखे बड़ी हो गई और मेरे मुँह में से पानी टपकने लगा था। आंटी बहुत ही सेक्सी दिख रही थी। फिर उसने अपने शरीर पर साबुन लगाना शुरू किया, लेकिन ब्रा की वजह से वो आराम से अपने शरीर को रगड़ नहीं पाती थी इसलिए उसने अब अपनी ब्रा को भी अपने शरीर पर से उतार फेंका था। अब मर जाने वाली बारी मेरी थी, उसके बूब्स देखकर मेरा तो जी मेरे गले में अटक गया था, वाह क्या नज़ारा था? मैंने आज तक मेरी ज़िंदगी में इससे अच्छा नज़ारा कभी नहीं देखा था।
अब मेरा लंड मेरे काबू में नहीं था। अब वो मेरी पेंट की चैन तोड़कर बाहर आने के लिए उछल रहा था। फिर मैंने भी जल्दी ही मेरे लंड की इच्छा पूरी की और मेरे लंड को मेरी पेंट की चैन खोलकर बाहर खुली हवा में छोड़ दिया और आंटी को देखकर मुठ मारना चालू कर दिया। अब आंटी नहा चुकी थी। फिर वो खड़ी हो गई और अपना शरीर टावल से पोंछने लगी। फिर अंत में उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया और तुरंत टावल लपेट दिया, लेकिन उसके बीच में आंटी की चूत की एक झलक पा चुका था और मेरी मुठ मारने की स्पीड डबल हो गई थी और फिर अंत में मैंने अपना पूरा माल बाहर निकाल दिया। अब मेरे दिमाग में आंटी को चोदने के ही विचार आने लगे थे। अब में कोई भी तरीके से आंटी को चोदने की तैयारी करने लगा था। फिर दूसरे ही दिन मैंने अपनी पूरी खिड़की खोल दी और आंटी को बरामदे में आने की राह देखने लगा था। फिर जब आंटी बरामदे में झाड़ू लगाने के लिए आई, तो तब मैंने उसे स्माइल दिया और धीरे से मेरा तोलिया निकाल दिया और मेरे लंड को हवा में खुला छोड़ दिया था।


अब मेरे 8 इंच लंबे और मोटे लंड को हवा में लहराता देखकर आंटी के तो होश ही उड़ गये थे। अब वो मेरे लंड को देखती ही रह गई थी। फिर मैंने आंटी के सामने अपने लंड को पकड़कर मुठ मारने का स्टाइल मारने लगा था। तब आंटी शर्मा गई और झट से अपने रूम में चली गई और खिड़की में से मेरा नज़ारा देखने लगी थी। फिर मैंने मेरी दोनों गोलियों को पीछे खींचकर लंड की पूरी लंबाई आंटी को बताई तो वो बिना पलक झपकाए मेरे लंबे और तगड़े लंड को आराम से देख रही थी। फिर मैंने आंटी को हवा में किस किया, तो तब वो कुछ नहीं बोली। फिर मैंने आंटी को अपने बूब्स दिखाने के लिए कहा। अब वो मना कर रही थी, लेकिन मैंने बार-बार उसे इशारा किया। आख़िर में उसने अपने ब्लाउज के बटन खोलकर अपने बड़े-बड़े बूब्स बाहर निकाले और मेरे सामने दिखाने लगी थी। अब मेरा तो खून बहुत तेज़ी से दौड़ने लगा था।


फिर मैंने उसे अपना पेटीकोट उठाने के लिए कहा तो पहले तो वो ना-ना कर रही थी, लेकिन आख़िरकार मेरी ज़िद के सामने उसने हार मान ली और अपना पेटीकोट ऊपर उठा लिया। वाह अब मेरे तो भाग्य ही खुल गये थे। अब मेरे सामने करीब 12 मीटर की दूरी पर एक मदमस्त चूत मेरे लंड का इंतजार कर रही थी। उस वक्त मेरे घर में कोई नहीं था, सिर्फ़ में अकेला ही था। तब मैंने आंटी को अपने घर में आने के लिए इशारा किया तो आंटी ने मना कर दिया। फिर मैंने बताया कि मेरे घर में मेरे सिवाए और कोई नहीं है। तब वो बोली कि में थोड़ी देर में आती हूँ। अब मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था और बैठे भी क्यों? अब तो उसे चोदने के लिए मदमस्त चूत मिलने वाली थी। फिर थोड़ी देर के बाद में डोरबेल बजी तो मैंने तुरंत दरवाजा खोला, तो सामने वाली आंटी खड़ी थी। अब वो बड़ी ही मादक स्माइल कर रही थी और बड़ी सेक्सी अदा में खड़ी थी, वो सुंदर नीले रंग की साड़ी पहनकर आई थी और हल्का सा मेकअप भी किया हुआ था।
फिर मैंने तुरंत उसे अंदर बुला लिया और दरवाजा बंद कर दिया। फिर वो बोली कि राजू क्या काम है? मुझे यहाँ क्यों बुलाया है? अब वो जानबूझकर भोली बन रही थी। फिर मैंने भी उसे इसी अदा में जवाब दिया कि आंटी तेरे आम का रस चूसने का बहुत मन हो रहा था, इसलिए तुझे यहाँ बुलाया है। फिर यह सुनकर वो मुझे मारने के लिए मेरे पीछे पड़ी और में अंदर बेडरूम की तरफ भाग गया। तो वो मेरे पीछे आ गई और मुझे पीछे से पकड़ लिया और बोली कि क्या बोला मेरे आम के रस चूसना है? तो चल जल्दी फटाफट चूसना शुरू कर। फिर यह सुनकर मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके रसीले होंठो को चूसना शुरू कर दिया। अब वो भी पीछे हटने वाली नहीं थी। अब वो भी मेरे होंठो को जोर से चूसने लगी थी और मेरे मुँह के अंदर अपनी जीभ फैरने लगी थी। अब इससे मेरे अंदर सेक्स का लवरस बहने लगा था। अब मैंने भी उसे कसकर पकड़ लिया था और उसके मदमस्त बूब्स को सहलाने लगा था। फिर मैंने आंटी को धीरे से बेड पर लेटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया।
फिर में उसके होंठो को चूसता रहा और ज़ोर-ज़ोर से उसके बूब्स को दबाने भी लगा था। अब वो भी जबरदस्त मूड में आ गई थी और मेरा पूरा सहयोग देने लगी थी। फिर मैंने धीरे से उसकी साड़ी भी निकाल दी और फिर उसका ब्लाउज भी उतार दिया। उसने लाल कलर की ब्रा पहनी थी और उसमें से उनके गोरे-गोरे बूब्स उछल-उछलकर बाहर आने के लिए मचल रहे थे। फिर मैंने भी अपनी शर्ट और पेंट उतार फेंकी। अब उन्होंने अपना पेटीकोट खुद ही निकाल दिया था और मुझे अपने ऊपर खींच लिया था। अब में पागलों की तरह उसे चूमने लगा था। अब वो भी मुझसे एकदम ही चिपक गई थी। फिर में उसके होंठो को छोड़कर धीरे से उसके कंधे पर से उसकी पीठ पर किस करने लगा और पीछे से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। उसकी ब्रा झट से उछलकर निकल गई और अब उसके मदमस्त बूब्स हवा में लहराने लगे थे। फिर में एक भी पल गंवाये बिना तुरंत अपने मुँह में उसके बूब्स को लेकर आम की तरह चूसने लगा। अब वो अपने मुँह से बुरी तरह सिसकारियाँ भर रही थी। अब वो बहुत ही गर्म थी। अब में बारी-बारी उसके दोनों बूब्स को लगातार चूसने लगा था।


अब वो भी राजा ज़ोर-ज़ोर से चूसो, ये आम तुम्हारे लिए ही है, इन आम को आज तक किसी ने भी तुम्हारी तरह नहीं चूसा है, मुझे आज जन्नत का सुख मिल रहा है और ज़ोर-ज़ोर से चूसो जैसे बोले जा रही थी। तब मैंने भी कहा कि अरे मेरी प्यारी आंटी अभी जन्नत का सुख तो बाकी है, ये तो सिर्फ़ शुरुआत है अभी देखती जाओं आगे-आगे होता है क्या? और फिर मैंने ज़ोर से उसकी पेंटी को फाड़कर निकाल दिया और उसकी चूत को अच्छी तरह से सहलाने लगा था। अब तो वो और ज़ोर से मचल पड़ी थी, आह क्या मज़ा आ रहा है? अरे राजा और जन्नत का सुख दो, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है और ये बोलते-बोलते उसने मेरा लंड बाहर निकाल दिया और अपने हाथ में मसलने लगी थी। फिर वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। तब मुझे भी बड़ा मज़ा आने लगा और फिर में बोला कि आह मादरचोद, आंटी तू बहुत मज़ा दे रही है, अब तो में हमेशा तुझे चोदूंगा और मज़ा करूँगा।
फिर मैंने भी उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। अब तो वो मदहोश होती जा रही थी और फिर वो बोली कि अरे राजा जल्दी अपना लंड मेरी चूत में डालो, अब तो रहा नहीं जाता, मेरी चूत का हाल बुरा होता जा रहा है। अब में भी पूरे जोश में आ गया था। फिर मैंने अपना 8 इंच लम्बा और तगड़ा लंड आंटी की चूत पर रखकर पूरे जोश से एक धक्का मारा। तो आंटी दर्द के मारे चिल्ला उठी, अरे मेरे नन्हे शेर जरा धीरे से चोदो, ये चूत तुम्हारे लंड जितनी बड़ी नहीं है। फिर मैंने भी धीरे से अपना सुपाड़ा उसकी चूत पर रगड़ा और फिर धीरे-धीरे अपना लंड आंटी की चूत में डालने लगा। फिर धीरे से मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में डालने के बाद मैंने कहा कि आंटी कैसा लग रहा है? तो तब वो बोली कि यार बड़ा मज़ा आ रहा है, आज के बाद जब भी मौका मिलेगा तो हम जरूर ये खेल खेलेंगे, अब ज़ोर-ज़ोर से तेरी आंटी की चूत की तड़प मिटा दे। अब में भी जोश में आ गया था और दनादन धक्के मारने लगा था। अब आंटी भी चिल्ला रही थी, आह इतना मज़ा ज़िंदगी में पहली बार आ रहा है, जल्दी-जल्दी मेरे राजा चोदो, मेरी प्यासी चूत की प्यास बुझा दो, मेरी चूत की चटनी बना दो, बहुत ही आनंद मिल रहा है। अब मुझे भी स्वर्ग का सुख मिल रहा था। अब में भी फटाफट मेरे लंड को आंटी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था। अब वो भी मुझसे एकदम चिपक गई थी। फिर मैंने मेरा पूरा ज़ोर लगाकर उसकी चूत में अपने वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया। अब वो भी मेरे साथ झड़ गई थी और फिर उसने भी अपना पानी छोड़ दिया। फिर हम दोनों बिस्तर पर हाँफते हुए पड़े रहे और फिर ये चोदने का सिलसिला हमेशा के लिए चालू हो गया। फिर हम दोनों को जब कभी भी कोई मौका मिला, तो हमने उस मौके का भरपूर फायदा उठाया और खूब इन्जॉय किया ।।
धन्यवाद …

कुंवारी लड़की की गांड चुदाई

कुंवारी लड़की की गांड चुदाई



हैल्लो दोस्तों, कैसे हो आप सब? मेरा नाम नरेन्द्र है और में दिल्ली गुडगाँव में रहता हूँ। मेरी उम्र 23 साल है। दोस्तों आज में आपको अपनी पहली सेक्स की स्टोरी सुनाता हूँ, जब मेरी उम्र 18 साल थी। मेरे दोस्त अक्सर सेक्स की बातें किया करते थे। में उनकी बातें बड़े ध्यान से सुनता था और मन ही मन सोचता था कि काश मुझे भी किसी लड़की से सेक्स करने को मिल जाए। मेरा रंग थोड़ा काला था इसलिए में ये भी सोचता था कि मुझसे कोई लड़की सेक्स के लिए तैयार नहीं होगी। फिर एक बार में अपने चाचा जी की लड़की के ससुराल गया। में वहाँ अक्सर चला जाता था। अब की बार जब में गया तो मैंने वहाँ उनकी जेठानी की लड़की को देखा, जिसकी उम्र 18 साल थी मगर हाईट थोड़ी बढ़ गई थी और उसकी चूचीयाँ भी उठी हुई थी और उसके सूट के अंदर उसके उभार नजर आ रहे थे, उसकी चूचीयाँ एकदम नुकीली थी, लेकिन समस्या ये थी की में उसे कैसे चोदूं? पता नहीं वो मानेगी भी या नहीं। ख़ैर वो मुझे भाई ही कहती थी। मेरा लंड उस वक़्त 8 इंच का था और अब मेरा मन कर रहा था कि में उसे चोद दूँ, लेकिन ये मुमकिन नहीं था।
फिर दिनभर में उससे इधर–उधर की बातें करता रहा, मगर में चाहता था कि वो मुझसे पूरी तरह फ्रेंक हो जाए। उसका 18 साल का जवान गोरा बदन देखने लायक था, वो एकदम कच्ची कली थी। फिर शाम को जब हमने सोने का प्लान बनाया तो मैंने जानबूझकर अपनी चारपाई उसकी चारपाई के पास ही बिछा ली और फिर सभी लोग टी.वी देखने लगे। में आपको बता दूँ कि वहाँ कमरे तो और भी थे, लेकिन अभी वहाँ पर लाईट की फिटिंग का काम चल रहा था, उनके घर में केवल एक ही कमरे में कूलर था बाकि में लाईट का कनेक्शन नहीं हुआ था। अब मेरी दीदी भी वही पर अपने लड़के के साथ सो गई थी। अब हम सब एक ही कमरे में अलग-अलग चारपाई पर सो रहे थे।
फिर कुछ देर बाद टी.वी बंद कर दिया और लाईट बंद कर दी, लेकिन मेरी आँखों में नींद कोसो दूर थी। अब में तो 18 साल की लड़की को चोदना चाहता था। फिर मैंने देखा कि सब सो चुके है, अब बस में और मेरा लंड जाग रहा था। फिर मैंने अपनी नजर घुमाकर देखा तो वो भी सो रही थी, उसका दुपट्टा उसकी चूचीयों पर नहीं था। तब उसकी नुकीली चूचीयाँ देखकर मेरा मन किया कि अभी उन्हें पकड़कर रगड़ दूँ, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो पाई। उसने अपनी टांगे मोड़ी हुई थी, जिससे उसका सूट साईड में गिर गया था और उसकी टांग से लेकर चूतड़ तक साफ झलक मिल रही थी। फिर मैंने हिम्मत करके अपना एक हाथ उसकी चारपाई पर रख दिया और धीरे-धीरे अपने हाथ को आगे ले जाने लगा तो थोड़ी देर के बाद मेरा हाथ उसकी चूचीयों पर पहुँच गया। अब मेरा दिल बहुत तेज तेज धड़क रहा था।
अब मेरी हथेली के नीचे उसके निप्पल थे, बस अब मेरे हाथ की मुट्ठी बंद करने की देर थी कि रूई जैसे गोले मेरे हाथ में होने थे, मगर अब मुझे थोड़ी घबराहट हो रही थी कि कहीं वो जाग ना जाए। फिर थोड़ी देर तक मैंने अपना हाथ उसकी चूचीयों पर रखे रखा और फिर जब मैंने देखा कि वो गहरी नींद में सो रही है। तब मैंने अपने हाथ को हिलाना शुरू कर दिया और में कभी इस चूची पर तो कभी उस चूची पर अपना हाथ फैर रहा था, लेकिन अब तक मैंने उसकी चूचीयों को दबाया नहीं था, मगर उसके निप्पल को अपनी उंगलियों से छूकर देख रहा था। अब मुझे बड़ा मजा आ रहा था। फिर थोड़ी देर के बाद मेरी हिम्मत बढ़ी तो मैंने उसकी चूचीयों को हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया। तो वो फिर भी नहीं जागी शायद वो गहरी नींद में सो रही थी। अब उसके साँस लेने से उसकी छाती उठ बैठ रही थी। फिर में अपनी चारपाई से नीचे उतरकर उसकी चारपाई के पास जाकर बैठ गया।
अब मेरा दिल बहुत ज़ोर से धड़क रहा था। अब वहाँ सभी लोग सो रहे थे, लेकिन फिर भी मेरे लंड ने मुझे उसके पास ले जाकर खड़ा कर दिया था। अब मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा हुआ था। अब मेरा मन कर रहा था कि में अपना लंड उसकी चूत में घुसा दूँ। अब में उसकी चारपाई के पास जाकर बैठ गया था। अब उसका चेहरा मेरी तरफ था और उसके होंठ बहुत ही पतले थे। फिर मैंने हिम्मत करके अपने होंठ उसके होंठो पर टिका दिए। अब उसकी गर्म गर्म साँसे मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। अब मेरा एक हाथ उसकी चूची को हल्के हल्के दबा रहा था। फिर मैंने अपने होंठो में उसके होंठो को भर लिया और उन्हें चूसने लगा था। अब मेरी हालत खराब हो रही थी, मुझे नहीं पता था कि कब मैंने उसकी चूची की निप्पल को पकड़कर दबा दिया? तो तब वो एकदम से हिली और करवट बदलकर सो गई।
अब में उससे एकदम से दूर हट गया था। अब में डर से काँप रहा था। फिर थोड़ी देर के बाद जब मुझे लगा कि वो सो गई है, तो में फिर से उसके पास बैठ गया, मगर अब उसकी कमर मेरी तरफ थी, उसकी सलवार उसके चूतडों से हट चुकी थी और उसके चूतड़ और जांघे मुझे नजर आ रही थी। फिर में हिम्मत करके उसकी चारपाई पर उसके पीछे जाकर सो गया। तब मैंने सोचा कि जो होगा देखा जाएगा, अब तो में उसको चोदकर ही रहूँगा, मेरा लंड 8 इंच का है और अब वो पूरी तरह से तना हुआ था। अब मुझे बार-बार उसे अपने हाथ से एडजस्ट करना पड़ रहा था, वर्ना अब तक तो वो मेरी पेंट में से बाहर आ जाता। फिर मैंने उसके पीछे से अपना एक हाथ उसके ऊपर रख लिया और अपना लंड उसके चूतडों पर सटा दिया था। अब मेरा लंड उसके चूतडों पर रगड़ मार रहा था। फिर मैंने अपना एक हाथ उसके ऊपर से ले जाकर उसकी चूचीयों पर रख दिया और धीरे-धीरे उन्हें दबाने लगा। फिर जब मैंने देखा कि वो अब तक नहीं जागी है, तब मेरी हिम्मत और बढ़ गई और अब मैंने अपने हाथ से और तेज-तेज दबाना शुरू कर दिया था। फिर जब मेरा मन भर गया तो मैंने अपना हाथ उसके कुर्ते के नीचे घुसा दिया।
अब में चाहता था कि में उसकी चूचीयों को नंगा कर दूँ, मगर में ऐसा नहीं कर पाया, क्योंकि उसका कुर्ता उसकी कमर के नीचे दबा हुआ था। फिर जब में उसके कुर्ते को ऊपर नहीं उठा पाया। तब मैंने सोचा कि चलो ऊपर से नहीं तो नीचे ही अपना हाथ घुसा देता हूँ। फिर में धीरे-धीरे अपना एक हाथ उसकी चूत के ऊपर ले गया और उसकी सलवाल के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा था। फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया तो नाडा ढीला होते ही मेरे हाथ को इतनी जगह मिल गई थी कि वो उसकी कुंवारी चूत तक आसानी से पहुँच जाता। फिर जैसे ही में अपना एक हाथ उसकी कुंवारी चूत पर ले गया तो मेरे सारे शारीर में करंट सा दौड़ गया, वाह क्या कोमल चूत थी उसकी? उसकी चूत पर छोटे-छोटे रोए आ रहे थे। अब में अपना आपा खो बैठा था और फिर मैंने अपने हाथ से उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया। अब बस मेरा इतना करना था कि उसकी नींद खुल गई और उसने एकदम से पीछे मुड़कर देखा और उठकर बैठ गई। तब मैंने अपना हाथ उसकी सलवार में से बाहर निकाल लिया। अब मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था।

फिर उसने कहा कि तुम यह क्या कर रहे हो? अपनी चारपाई पर जाओ। यह बात उसने थोड़ी धीरे से कही थी ताकि किसी और को ना सुनाई दे। तब मैंने कहा कि मुझे अपनी चारपाई पर नींद नहीं आ रही है, में तुम्हारे पास ही सोऊँगा। तब वो बोली कि नहीं तुम अपनी चारपाई पर जाओ, नहीं तो में दीदी को जगा दूँगी। अब मुझे थोड़ा डर तो लग रहा था, लेकिन मैंने फिर भी हिम्मत करके कहा कि प्लीज यार सोने दो ना, तुम्हारा क्या जाता है? मुझे वहाँ नींद नहीं आ रही है। फिर वो कुछ सोचने लगी और बोली कि ठीक है सो जाओ, मगर दूर रहना। तब मैंने कहा कि में तो दूर ही हूँ और फिर वो सो गई। फिर में थोड़ी देर तक तो चुपचाप सोता रहा और फिर मैंने अपना एक पैर उसके ऊपर रख दिया और अपना लंड उसके कूल्हों पर सटा दिया। तब वो बोली कि पीछे हट जाओ। तो मैंने कहा कि सॉरी मुझे ऐसे ही सोने की आदत है और इतना कहकर मैंने अपना पैर तो उसके ऊपर से हटा लिया, मगर अपना लंड उसके कूल्हों पर सटा रहने दिया। इस पर वो कुछ नहीं बोली और चुपचाप सोती रही।
अब मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गई थी। अब में अपना शरीर धीरे-धीरे हिला रहा था। अब मेरा लंड उसको टच कर रहा था। अब वो भी बैचेन हो गई थी और बोली कि प्लीज मुझे तंग मत करो, मुझे सोने दो। तब मैंने कहा कि में तुम्हें तंग कहाँ कर रहा हूँ? में तो सोच रहा था कि तुम्हें मज़ा आ रहा होगा, क्या तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा? तो वो चुप रही। फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी छाती पर रख दिया और अब में अपना एक हाथ उसकी चूची पर फैर रहा था। अब वो कसमसाने लगी थी। अब में समझ गया था कि उसे भी अब मज़ा आ रहा है। अब में उससे और सट गया था। अब मेरा लंड उसकी गांड में बिल्कुल गड़ रहा था। अब मैंने उसे अपने से बिल्कुल चिपका लिया था, मुझे पता था कि अब में चाहे जो करूँ, वो मना नहीं करेगी।

 मैंने उसकी चूचीयों को दबाना शुरू कर दिया था और फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए और उसे किस करने लगा था। अब में किस करते करते अपने हाथ को भी उसकी चूचीयों पर फैर रहा था। अब मैंने उसका सूट नीचे से ऊपर कर दिया था, उसने नीचे कुछ नहीं पहन रखा था, वाह क्या बदन था उसका? अब मुझे जोश आ गया था तो मैंने उसका सूट बिल्कुल उतार दिया। अब वो ऊपर से बिल्कुल नंगी थी, उसकी जवानी एकदम कच्ची कली की तरह लग रही थी। फिर मैंने अपने मुँह में उसकी चूचीयाँ भर ली और उन्हें चूसने लगा। फिर तब उसके मुँह से सिसकी निकल गई और बोली कि भैया प्लीज, ऐसे मत करो, मुझे कुछ हो रहा है। तब मैंने कहा कि क्या तुझे अच्छा नहीं लग रहा? में जानता था कि वो कहेगी कि अच्छा लग रहा है, लेकिन वो कुछ नहीं बोली, तो में फिर से चूसने लगा। अब मैंने चूस-चूसकर उसके निप्पल लाल कर दिए थे।
अब इसी दौरान मैंने अपना एक हाथ उसकी पेंटी के अंदर घुसा दिया था। अब में अपनी उंगली से उसकी चूत को छेड़ रहा था और वो मचल रही थी। अब मुझसे रुकना मुश्किल हो रहा था, लेकिन अगर में उसके साथ सेक्स करता तो हो सकता है कि बाकी लोग जाग जाते, सभी यही सो रहे थे इसलिए मैंने उससे छत पर चलने को कहा तो वो मना करने लगी। तब मैंने कहा कि में जा रहा हूँ, अगर तुम आना चाहो तो आ जाना और फिर में छत पर चला गया। मुझे पता था कि वो जरूर आएगी, क्योंकि अब वो भी गर्म हो चुकी थी। अब में वहाँ थोड़ी ही देर ही रुका था कि वो आ गई और बोली कि मुझे यहाँ क्यों बुलाया है? नीचे ही ठीक था। तब मैंने कहा कि जो में तुम्हारे साथ करना चाहाता हूँ, वो नीचे नहीं हो सकता था। तब वो बोली कि तुम क्या करना चाहते हो? तो तब में बोला कि इतनी जल्दी क्या है? बता दूँगा और ये कहकर मैंने उसे फिर से पकड़ लिया और उसे किस करने लगा था।
अब में अपने एक हाथ से उसके कपड़े हटाने लगा था। तब उसने कुछ नहीं कहा और हल्का हल्का विरोध करती रही, जिसे मैंने नजर अंदाज कर दिया था। अब थोड़ी देर में वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी, वाह क्या बदन था उसका? बिल्कुल कच्ची कली और उसकी चूत के तो क्या कहने? अब मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए थे। अब में उसकी चूत पर किस कर रहा था और वो बुरी तरह मचल रही थी। अब उसके मुँह से सिसकी निकल रही थी। फिर मैंने उसे बैठा दिया और अपना लंड उसके होंठो पर लगा दिया और उससे बोला कि तुम भी मेरे पप्पू पर किस करो। फिर पहले तो वो मना करती रही, लेकिन जब मैंने थोड़ा ज़ोर दिया, तो वो मान गई। फिर थोड़ी देर तक किस करने के बाद मैंने थोड़ा सा धक्का लगाकर अपना लंड उसके होंठो के बीच में फंसा दिया, वाह क्या नज़ारा था? पतले पतले होंठो में मेरा लंड था, दोस्तों वो बहुत ही सेक्सी सीन था। फिर थोड़ी देर के बाद जब मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ तो मैंने उसे लेट जाने के लिए कहा तो वो लेट गई। फिर मैंने उसकी दोनों टांगो को अलग-अलग किया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा था। अब वो भी चुदने के लिए तैयार थी।
फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर बिल्कुल निशाने पर रख दिया और धीरे से एक झटका मारा, लेकिन वो अंदर नहीं जा पाया, कारण यह था की उसकी चूत बहुत छोटी थी। फिर मैंने अपने मुँह से थोड़ा सा थूक निकालकर उसकी चूत पर लगाया और थोड़ा अपने लंड पर भी लगाया और फिर से उसकी चूत पर रख दिया। अब वो थोड़ी डर रही थी और कह रही थी कि आराम से करना, तुम्हारा लंड बहुत मोटा है। तब मैंने कहा कि तुम चिंता मत करो, तुम्हें बहुत मज़ा आएगा और इतना कहकर मैंने एक झटका मारा तो मेरा लंड एकदम से टप की आवाज करता हुआ उसकी चूत में फंस गया। तभी वो एकदम से उछल पड़ी और झटपटाने लगी आहह निकालो इसे, मुझे नहीं लेने मज़े, मुझे दर्द हो रहा है, आहह, प्लीज निकालो, सीसस्शहस्स आहह, फट गई मेरी चूत, आह निकालो जल्दी। अब उसने तो हाए तोबा मचा दी थी। तब मैंने कहा कि थोड़ी देर रुक जाओ, सब ठीक हो जाएगा, मगर वो नहीं मानी। तब मैंने सोचा कि ये ऐसे नहीं मानेगी और फिर इसके साथ ही मैंने उसे कसकर पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठो पर टिका दिए।
अब मेरा आधा लंड उसकी चूत में जा चुका था। अब में धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाने लगा था, तो थोड़ी देर के बाद वो कुछ शांत सी हुई। तब मैंने उससे पूछा कि क्या अब भी दर्द हो रहा है? तब उसने कहा कि हो तो रहा है, लेकिन ज्यादा नहीं। अब मैंने धीरे-धीरे करके अपना लंड उसकी चूत में पूरा घुसा दिया था। अब उसके माथे पर पसीने की बूंदे दिखाई दे रही थी। अब वो बड़ी मुश्किल से मेरे लंड को झेलने की कोशिश कर रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। अब वो मेरे नीचे पड़ी सिसकियाँ भर रही थी। अब मुझे भी और उसे भी मज़ा आने लगा था। अब में जैसे-जैसे झटके मार रहा था, तो उसकी छोटी-छोटी चूचीयाँ हिल रही थी। फिर मैंने उसकी दोनों टांगे उठाकर अपने कंधे पर रख ली और पूरे जोश के साथ उसे चोदने लगा था। अब वो फुल मज़ा ले रही थी।

फिर मैंने उसकी दोनों टांगो को मोड़कर उसके सीने से लगा दिया और झटके मारने लगा तो थोड़ी देर के बाद हम दोनों अपनी चरम सीमा पर पहुँच गये। अब वो बहुत खुश थी। फिर उसने कहा कि उसे बहुत मजा आया है। फिर हमने थोड़ी देर रुककर फिर से सेक्स किया और हमें इस बार और ज्यादा मज़ा आया था। फिर जब हम जाने लगे तो उसने देखा कि उसकी टांगो पर खून लगा हुआ है तो तब वो बोली कि लगता है मेरी चूत फट गई है। तब मैंने कहा कि नहीं पहली बार सेक्स करते वक़्त ऐसा होता है, अब नहीं होगा। फिर हम अपने कपड़े पहनकर नीचे आ गये। फिर में वहाँ 2 दिन रहा और हर रात मैंने उसकी चूत मारी और एक बार मैंने उसकी गांड भी मारी। अब उसे भी बहुत मजा आया था। फिर वो बोली कि इस काम में तुम्हें शायद चूत मारने में इतना मज़ा नहीं आता होगा जितना मुझे तुमसे चूत और गांड मरवाने में आता है।
तब मैंने पूछा कि तुम्हें किस काम में ज्यादा मज़ा आया? तो वो बोली कि गांड मरवाने में और बोली कि तुम भी कभी गांड मरवाकर देखना कि इसमें मज़ा आता है या नहीं? तो जब तो मैंने उससे कह दिया कि मुझे गांड मरवाने की जरूरत नहीं है, में तो सिर्फ़ मारता हूँ, लेकिन अब कही ना कही में सोच रहा था कि क्या वास्तव में गांड मरवाने में मज़ा आता है? और फिर में वहाँ से आ गया। फिर में जब भी वहाँ गया और मुझे कोई मौका मिला तो तब मैंने उसकी खूब चुदाई की और खूब इन्जॉय किया ।।
धन्यवाद …

गर्लफ्रेंड की छोटी बहन से बदला लिया

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दोस्त की मामी की गांड में थूक लगाया





दोस्त की मामी की गांड में थूक लगाया


हैल्लो दोस्तों, हमारे पड़ोस में मेरा एक दोस्त रवि रहता है, रवि पड़ोस में अकेला रहता है, उसके सभी पेरेंट्स गाँव में रहते है। फिर एक बार उसकी मामी किसी काम के सिलसिले से मुंबई आई और उसके घर पर करीब 2 महीने रही। अब सबसे पहले उसकी मामी के बारे में आप लोगों बता दूँ। उसकी मामी का नाम फरीदा है, वो करीब 40 साल की साँवली, सुड़ोल, शादीशुदा महिला है, वैसे तो वो हाउस वाईफ है, लेकिन गाँव में मशहूर समाज सेविका है, उसके चूतड़ और बूब्स काफ़ी बड़े-बड़े और भारी है, वो शक्ल सूरत से खूब सेक्सी और 30 साल से कम लगती है।
में अक्सर शनिवार या रविवार जो कि मेरी छुट्टी के दिन है, रवि के साथ गुजारता हूँ। अब जब से उसकी मामी आई है तब से में उसकी मामी से 2-3 बार मिल चुका हूँ। वो जब भी मुझसे मिलती तो मुझे अजीब निगाहों से देखती थी। मुझे देखकर उसकी नजरों में एक अजीब सा नशा छा जाता था, या यूँ कहिए उसकी नजर में सेक्स की चाहत झलक रही हो ऐसा मुझे क्यों महसूस हुआ था? यह में बता नहीं सकता हूँ, लेकिन मुझे हमेशा ही लगता था कि वो नजरों ही नजरों से मुझे सेक्स की दावत दे रही हो।  अब में जब भी उनसे मिलता तो कम ही बातचीत करता था, मगर जब वो बातें करती तो उनकी बातों में दोहरा अर्थ होता था जैसे अरमान तुम खाली समय में कुछ करते क्यों नहीं? तो तब मैंने कहा कि मामी जी क्या करूँ आप ही बताए? तो तब वो बोली कि तुम्हें खाली समय का और मौके का फ़ायदा उठाना चाहिए। तब मैंने कहा कि जरूर फायदा उठा लूँगा अगर मौका मिले तो।
तब वो बोली कि मौका तो कब से मिल रहा है? लेकिन तुम कुछ समझते नहीं और ना ही कुछ करते हो? अब में उनकी बातें सुनकर चौंक गया था और बोला कि मामी जी आपकी बातें मेरे दिमाग में नहीं घुस रही है। तब वो बोली कि देखो अरमान आज और कल यानि शनिवार और रविवार तुम्हारी छुट्टी होती है, तुम्हें कुछ पार्ट टाईम जॉब करना चाहिए, ताकि तुम्हारी आमदनी भी हो ज़ाएगी और टाईम पास भी होगा। अब इस तरह की दोहरे शब्दों में मामी जी बातें करती थी और वो जब भी मुझसे बातें करती थी, तब रवि या तो बाथरूम में होता या फिर किसी काम में व्यस्त होता था। फिर एक दिन जब में सुबह करीब 11 बजे रवि के घर पहुँचा तो घर पर उसकी मामी थी।
अब मुझे रवि कहीं नजर नहीं आया था। तब मैंने पूछा कि मामी जी रवि नजर नहीं आ रहा है, कहाँ गया वो? तो तब मामी बोली कि वो बाथरूम में कब से नहा रहा है? में उसका बाहर निकलने का इंतज़ार कर रही हूँ। तो तब में बोला कि लेकिन वो तो ज़्यादा समय बाथरूम में लगाता ही नहीं है और तुरंत 5 मिनट में आ जाता है। तब मामी हँसते हुए बोली कि अरे भाई  बाथरूम और बेडरूम ही तो ऐसी जगह है जहाँ से कोई भी जल्दी निकलना नहीं चाहता है। तो में उसका कोई जवाब नहीं दे सका और वो भी चुप रही। फिर थोड़ी देर के बाद रवि बाथरूम से नहा धोकर बाहर आया। अब उसके बाथरूम से बाहर आते ही मामी ज़ी बाथरूम में घुस गयी थी और मेरी तरफ नशीली नजरों से देखती हुई बोली कि घबराना मत, में ज्यादा समय नहीं लगाऊँगी, आप लोग नाश्ते के लिए मेरा इंतज़ार करना और यह कहते हुए वो बाथरूम में घुस गयी और फिर करीब 20 मिनट के बाद वो तैयार होकर हमारे साथ नाश्ता करने लगी।
फिर नाश्ता करते वक्त रवि ने कहा कि यार आज मुझे ऑफिस के काम के सिलसिले में सूरत जाना है और में कल रात को या सोमवार दोपहर को वापस आऊंगा अगर सोमवार दोपहर को आऊंगा तो तुम्हें कल फोन कर दूँगा। अगर तुम्हें एतराज़ ना हो तो क्या तुम जब तक में नहीं आता हूँ? मेरे घर रुक जाना, ताकि मामी को बोर महसूस नहीं होगा और ना ही मुझे उनकी चिंता रहेगी, क्योंकि वो मुंबई में पहली बार आई हुई है। तब मैंने कहा कि ठीक है नो प्रोब्लम और फिर वो 12 बजे वाली ट्रेन से सूरत चला गया तो में भी उसे ट्रेन में बैठाने के लिए बोरीवली गया। अब जब में वापस आ रहा था तो एक रेस्टोरेंट में जाकर 3 पैग विस्की पी और वापस आकर रवि के घर गया। अब घर पर मामी जी हॉल में बैठकर कोई किताब पढ़ रही थी और मुझे नशीली निगाहों से देखा और बोली कि रवि को बैठने की सीट मिल गयी थी क्या? तो तब  मैंने कहा कि हाँ, क्योंकि ट्रेन बिल्कुल खाली थी।
तब मामी बोली कि मैंने खाना बना लिया है भूख लगी हो तो बोल देना। तो तब मैंने कहा कि अभी भूख नहीं है जब होगी तो बोल दूँगा। फिर मैंने मामी की निगाहों में अजीब सा नशा देखकर उनसे पूछा कि मामी जी आप करती क्या है? फिर थोड़ी देर तक मेरी नजरों से नजरे मिलती रही और फिर वो बोली कि समाज सेवा। यह सुनते ही अचानक से मेरे मुँह से निकल गया कभी हमारी भी सेवा कर दीजिए, ताकि हमारा भी भला हो जाए। तब वो हल्की सी मुस्कुराई और बोली कि तुम्हारी क्या प्रोब्लम है? तो तब मैंने कहा कि वैसे तो कुछ खास नहीं है, लेकिन बता दूँगा जब उचित समय होगा। फिर वो मेरी आँखो में आँखे डालती हुई बोली कि यहाँ तुम्हारे और मेरे अलावा कोई नहीं है बेझिझक अपनी प्रोब्लम कह डालो, शायद में तुम्हारी प्रोब्लम हल कर दूँ? तो तब मैंने कुछ नहीं कहा और उनसे पूछा कि आप किस प्रकार की समाज सेवा करती हो? तो तब वो बोली कि में जरूतमंद लोगों की जरूरत पूरी करने की मदद करती हूँ, उनकी समस्या हल करती हूँ।
तब मैंने कहा कि मेरी भी जरूरत पूरी कर दो ना। तब वो बोली कि जब वक्त आएगा तो कर दूँगी और फिर वो चुप रही और किताब पढ़ने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद मैंने उनसे पूछा कि मामी जी आप क्या पढ़ रही है? कुछ खास सब्जेक्ट है क्या इस किताब में? तो तब  वो मुस्कुराते हुई बोली कि इस किताब में बहुत अच्छा आर्टिकल है पत्नी और पति के सेक्स के विषय में और फिर वो पढ़ने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद उसने पूछा कि अरमान ये सेडक्षन का मतलब क्या होता है? तो में सोचने लगा और वो मेरी तरफ कातिल निगाहों से देखती हुई बोली कि बताओं ना। अब मेरी समझ में नहीं आ रहा था की हिन्दी में उसे कैसे बताऊँ? अब वो लगातार मेरी तरफ देख रही थी। अब उसकी आँखों में नशा छाने लगा था। अब में भी उसे गोर से देख रहा था, उसके होंठ सूख रहे थे और वो अपने होंठो पर अपनी जीभ फैर रही थी। फिर मैंने सोचा कि आज मामी को पटाने का अच्छा मौका है। तो तब वो फिर से बोली कि बताओ ना, क्या मतलब होता है?
फिर उसकी इस अदा को देखते हुए मैंने कहा कि शायद चुदास। तब वो बोली कि क्या कहा? क्या मतलब होता है इसका? तो तब  मैंने कहा कि क्या तुम चुदास नहीं समझती हो? तो तब वो बोली कि कुछ-कुछ, क्या यही मतलब होता है? तब मैंने कहा कि हाँ शायद यानि की कैसे समझाऊँ तुम्हें मामी ज़ी? मुझे समझ नहीं आ रहा है। तब वो हँसते हुए बोली कि चुदास का मतलब सेक्स करने की चाहत तो नहीं। तो में उसे एकटक देखने लगा। अब उसके होंठो पर चंचल मुस्कुराहट थी। तब मैंने कहा कि आप ठीक समझी। फिर वो मेरी आँखों में अपनी आँखें डालकर बोली कि किस शब्द से बना है चुदास?  तब मैंने उसकी आवाज में कपकपी महसूस की। फिर मेरे दिल ने कहा कि गधे वो इतना चान्स दे रही है तो तू भी बेशर्म बन जा वरना पछताएगा। फिर मैंने कहा कि चुदास चोदना शब्द से बना है। तो वो खिलखिलाकर हंसने लगी और किताब के पन्ने पलटने लगी। अब में सोचने लगा था कि अब क्या करूँ? तो तभी अचानक से उसने पूछा कि ये वेजाइना क्या होता है? तो तब मेरे दिल ने कहा कि साली जानबूझकर ऐसे सवाल पूछ रही है।
फिर मैंने बिंदास होकर कहा कि योनि को वेजाइना कहते है। तो तब उसने फिर से पूछा कि यह योनि क्या होती है? तो तब मैंने कहा कि क्या आप योनि नहीं जानती हो? तो तब वो बोली कि नहीं। तो तब मैंने कहा कि चूत समझती हो। तो उसने झट से अपने मुँह पर अपना एक हाथ रखा और किताब के पन्ने पलटती हुई बोली कि हाँ। फिर मैंने हिम्मत करके कहा कि चुदास की बहुत चाहत हो रही है क्या?  तो तब उसने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा कि चुदास की प्यास? तो तब मैंने कहा कि वाकई चुदास की प्यास लगी है। तो तब वो बोली कि में भी 2 साल से प्यासी हूँ, क्योंकि 2 साल पहले मेरा पति से तलाक हो गया था। तब मैंने कहा कि ओह इसका मतलब 2 साल से तुम्हारी चूत ने लंड का पानी नहीं पिया है।


फिर तब वो अपना सिर झुकाकर बोली कि आज तक तुम्हारे जैसा कोई मिला ही नहीं। तब में बोला कि अगर मिल जाता तो। तब वो बोली कि तो में अपनी चूत को उसके लंड पर कुर्बान कर देती। तब में बोला कि आओ, मेरा लंड तुम्हारी चूत पर न्योछावर होने के लिए बेकरार है और तुरंत उसे अपनी बाँहों में ले लिया और उसके होंठो में अपने होंठ डालकर चुंबन करने लगा। तब मैंने महसूस किया कि उसके हाथ मेरे लंड की तरफ बढ़ रहे थे और फिर उसने मेरी पैंट की चैन खोलकर मेरे लंड को पकड़ लिया और फिर धीरे-धीरे उसे सहलाने लगी थी। अब मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया था। फिर मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो में पैंट और अंडरवेयर निकालकर बिल्कुल नंगा हो गया। फिर उसने मेरे लंड को पकड़कर अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपोप की तरह चूसने लगी थी। अब मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। अब वो कभी मेरे लंड के सुपाड़े को चूसती तो कभी अपनी जीभ से मेरे लंड को जड़ तक चाट रही थी और फिर उसने ऐसा करीब 15 मिनट तक किया। फिर आख़िर में मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने उसके मुँह में अपना बहुत सारा वीर्य डाल दिया। फिर हम दोनों सोफे पर आकर बैठ गये। अब मेरा लंड फिर से सामान्य हो गया था, वो अब भी साड़ी पहने हुई थी।
फिर मैंने उसकी साड़ी में अपना एक हाथ डालकर उसकी जाँघो को सहलाया और फिर अपने एक हाथ को उसकी चूत पर ले गया, उसकी पेंटी गीली हुई थी, उसकी पेंटी इतनी गीली थी जैसे पानी से भीग गयी हो। फिर मैंने उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को मसलना शुरू किया। अब वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी थी। फिर मैंने उसकी पेंटी में अपना एक हाथ डाला तो उसकी चूत फूली हुई थी और गर्म बत्ती की तरह सुलग रही थी। फिर में उसकी चूत की दरार में अपनी एक उंगली डालकर उसकी चूत के दाने को मसलने लगा, जिस कारण वो गर्म होने लगी थी। फिर मैंने उसे सोफे पर लेटाकर उसकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर सरकाया। अब उसकी पेंटी उसकी चूत के अमृत से तरबतर थी। फिर मैंने उसकी पेंटी को पकड़ा और उसकी जांघो तक सरका दी। फिर उसने खुद उठकर अपनी पेंटी निकाल दी और फिर सोफे पर लेट गयी थी। अब उसके घुटने ऊपर थे और टाँगे फैली हुई थी। अब मुझे उसकी साँवली चूत बिल्कुल साफ-साफ दिखाई दे रही थी।


फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाली तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने आग को छू लिया हो, क्योंकि उसकी चूत काफ़ी गर्म हो चुकी थी। फिर में धीरे-धीरे अपनी एक उंगली उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा। अब उसके मुँह से आअहह, उूउउफफफ्फ की आवाजें निकल रही थी। फिर मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी कोमल चूत में घुसा दी। अब उसकी चूत चिकनी होने से मेरी दोनों उंगलियाँ आराम से अंदर बाहर हो रही थी। फिर मैंने लगभग 10-15 बार अपनी उंगलियों से उसकी चूत घिसाई की। अब इधर मेरा लंड भी फूलकर तन गया था। फिर में उठकर खड़ा हुआ और उसे लेकर बेडरूम में ले गया। अब वो अपनी आँखें बंद किए मेरे अगले कदम का इंतज़ार करने लगी थी।
फिर मैंने अपनी शर्ट निकालकर उसकी साड़ी और पेटीकोट दोनों उतार दिए और अब हम बिल्कुल नंगे हो गये थे। फिर वो करवट लेकर लेट गयी। अब उसके चूतड़ साफ साफ झलक रहे थे। फिर मैंने उसकी गांड को अपने एक हाथ से सहलाया, क्या गांड थी उसकी? गोल मटोल गांड थी उसकी। फिर में करीब 5  मिनट तक उसकी गांड को सहलाता रहा और फिर उसकी कमर पकड़कर उसको सीधा लेटा दिया और जितना हो सका उतनी उसकी दोनों टाँगे फैला दी और फिर उसकी चूत की दरारों को फैलाकर अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा था। अब उसके मुँह से आह, उूउउफफफ्फ की नशीली आवाजें निकल रही थी। अब में अपनी जीभ से उसकी चूत के एक-एक भाग को चाट रहा था और बीच-बीच में उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था। अब वो बिल्कुल पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी। फिर वो बोली कि अब हटो अरमान, मेरी चूत काफ़ी गर्म हो चुकी है, अब अपना लंड मेरी गर्मा गर्म चूत में घुसेड़ दो राजा, उउफ़फ्फ अपने लंड से मेरी चूत की गर्मी और प्यास बुझा दो, मेरे अरमान आज इतना कस कसकर चोदो कि मेरे पूरे अरमान निकल जाए।
फिर जैसे ही मैंने उसकी चूत से अपना मुँह हटाया तो उसने अपनी दोनों टाँगे मोड़ ली। फिर में उसकी  उठी हुई दोनों टांगो के बीच में बैठ गया। फिर मैंने उसकी दोनों टांगे अपने हाथ से उठाकर अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा, जिस कारण उसके शरीर में झुरझरी मच गयी थी। अब मेरे लंड को उसकी चूत के मुँह पर रखते ही उसकी चूत की चिकनाहट के कारण अपने आप अंदर जाने लगा था। फिर मैंने कसकर एक धक्का मारा तो मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुस गया। अब उसकी गर्म-गर्म चूत के अंदर मेरे लंड की अजीब हालत थी। अब में धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा था। उसकी चूत के घर्षण से मेरा लंड फूलकर और मोटा हो गया था। अब मेरे हर धक्के पर वो आआहह, ऊऊहह की आवाज़े निकालने लगी थी। फिर में करीब 20 मिनट तक उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर करता रहा। फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और दनादन अपने लंड को उसकी चूत में मूसल की तरह घुसाता रहा। अब उसने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया था।
अब में समझ गया था कि वो झड़ रही है और कहरा रही थी और बोल रही थी हाए अरमान 2 साल के बाद मेरी चूत की खुजली मिटी है, वाकई में तुम पक्के चुदक्कड़ हो, चोदो मुझे, ज़ोर-ज़ोर से चोद। अब मेरा लंच पच-पच की आवाज के साथ अंदर बाहर हो रहा था। अब पूरे कमरे में चुदाई की फच-फच, फच- फच की आवाज़े गूँज रही थी। अब मेरा लंड उसकी चूत को चोदता जा रहा था। अब कुछ देर के बाद उसके झड़ने के कारण मेरा लंड बिल्कुल गीला हो चुका था और अब वो निढ़ाल होकर लंबी-लंबी साँसे ले रही थी। फिर करीब 20-25 धक्को के बाद मेरे लंड ने आख़िर में जोरदार फव्वारा निकला और उसकी चूत में समा गया। फिर जब तक मेरे लंड से एक-एक बूँद उसकी चूत में समाती रही और में धक्को पर धक्के लगाता रहा। फिर आख़िर में मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके बाजू में लेट गया।
अब हम दोनों की साँसे तेज चल रही थी। अब वो दाहिनी तरफ करवट लेकर लेटी हुई थी। फिर करीब 15-20 मिनट तक हम ऐसे ही लेट रहे। फिर मेरी नजर उसकी गांड पर पड़ी। अब उसकी गांड का ख्याल आते ही मेरा लंड फिर से हरकत करने लगा था। फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेद पर रखकर घुसाने की कोशिश की, उसकी गांड का छेद बहुत टाईट था। फिर मैंने बहुत सारा थूक उसकी गांड के छेद पर और अपनी उंगली पर लगाया और दुबारा से उसकी गांड में अपनी एक उंगली घुसाने की कोशिश करने लगा। अब गीलेपन के कारण मेरी उंगली थोड़ी सी उसकी गांड में घुस गयी थी। अब मेरी उंगली घुसते ही वो कसकसाहट करने लगी थी। फिर वो तड़पकर आगे खिसकी जिस वजह से मेरी उंगली उसकी गांड के छेद से बाहर निकल गयी थी और मुड़कर बोली कि क्या कर रहे हो? तो तब मैंने कहा कि तुम्हारी गांड सचमुच बहुत खूबसूरत है। तब वो बोली कि उंगली क्यों घुसा रहे हो? लंड सो गया है क्या? तो उसकी यह बातें सुनकर में बहुत खुश हुआ और उसे पेट के बल लेटा दिया और अपने दोनों हाथों से उसके चूतडों को फैला दिया, जिससे उसकी गांड का छेद और खुल गया था।
फिर वो धीरे से बोली कि अरमान नारियल तेल या कोई चिकनी चीज मेरी गांड और अपने लंड पर लगा लो तो आसानी रहेगी। तब मैंने कहा कि मेडम मेरे पास इससे भी अच्छी चीज है, वैसलीन और फिर में उठकर ड्रॉयर से वैसलीन ले आया और बहुत सारी वैसलीने अपने लंड पर और उसकी गांड पर लगाई और फिर उसकी गांड मारने को तैयार हो गया। फिर मैंने अपना लंड उसकी गांड के सुराख पर लगाया और थोड़ा ज़ोर लगाकर पुश किया तो मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गांड में थोड़ा सा घुस गया और फिर थोड़ा ज़ोर लगाकर और पुश किया तो मेरा सुपाड़ा उसकी गांड में समा गया। मेरा सुपाड़ा उसकी गांड मे घुसते ही वो बोली कि अरमान थोड़ा आहिस्ते-आहिस्ते डालो, बहुत दर्द हो रहा है, 2 साल हो गये गांड मरवाए। अब में सिर्फ़ अपने सुपाड़े को ही धीरे-धीरे उसकी गांड में अंदर बाहर करने लगा था।


फिर थोड़ी देर के बाद ही उसकी गांड का छेद मेरा पूरा लंड खाने के काबिल हो गया। तब मुझे लगा कि अब मेरा लंड पूरा उसकी गांड में घुस जाएगा और ऐसा ही हुआ। अब उसकी गांड का छेद चिकनाहट की वजह से मेरा लंड थोड़ा-थोड़ा और अंदर समाने लगा था और फिर 2-3 मिनट की मेहनत के बाद मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी गांड में घुस गया। अब में धीरे-धीरे अपना लंड उसकी गांड में अंदर बाहर करने लगा था। अब उसकी गांड टाईट होने की वजह से मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। अब उसे भी अपनी गांड मरवाने में बहुत मज़ा आ रहा था और वो अपने मुँह से उउफ्फ, आह की आवाज़े निकाल रही थी। फिर 30-35 धक्को के बाद मेरे लंड ने अपने घुटने टेक दिए और उसकी गांड में बहुत सारा वीर्य छोड़ दिया।  अब वो भी अपनी गांड को सिकोड़ने लगी थी। अब हम दोनों निढ़ाल होकर बिस्तर पर लेट गये थे। फिर जब तक मेरा दोस्त नहीं आया। मैंने उसकी मामी की कई बार चूत और गांड मारी।
फिर जब में वापस अपने घर आने लगा, तो तब मामी बोली कि कैसी रही मेरी समाज सेवा? तो तब मैंने हंसकर कहा कि मामी जी आप सच्चे तन मन से समाज सेवा करती हो और फिर में अपने घर आ गया। फिर मुझे जब कभी भी कोई मौका मिला तो मैंने उसकी खूब चुदाई की और खूब मजे लिए और बहुत इन्जॉय किया ।।
धन्यवाद …

बीवी को शेरखान से चुदवाया

बीवी को शेरखान से चुदवाया

हैल्लो दोस्तों, में कोलकाता का रहने वाला हूँ और आगरा में रेल्वे में बुकिंग क्लर्क हूँ। 1 साल पहले नीलू से मेरा विवाह हुआ था और उसे अपने साथ ही रखता था। नीलू बहुत ही सुंदर लड़की है। उसकी हाईट लगभग 5 फुट है, वो गोरे-गोरे भरे बदन की मालकिन है, उसके बूब्स 34 के और कूल्हें तो गजब के है 38 से तो किसी कीमत पर कम नहीं होगा, वो सेक्स की बहुत भूखी है। यह कहानी उस समय शुरू हुई जब मेरा ट्रान्सफर दिल्ली हो गया था। तब कोई रेल्वे क्वार्टर खाली नहीं था तो मजबूरी में कारोल बाग में होज़िंग कॉलोनी में एक दो कमरे का घर रेंट पर लेकर रहने लगा। मेरी ड्यूटी दिन में ही रहती थी और रात को घर आता तो थककर सो जाता था और फिर नीलू मुझे जगाती और सेक्स करने को कहती। तब में सेक्स कर तो लेता मगर में महसूस करता था कि वो प्यासी रह जाती है। वैसे वो कुछ कहती तो नहीं थी, सभी जानते है कि बंगाली लड़कियाँ बहुत शर्मीली होती है, में भी ठीक ठाक था, मेरा लंड भी औसत आकर का था 5 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा, बस एक कमी है चूत में लंड डालने के बाद बहुत जल्दी झड़ जाता हूँ जिस कारण नीलू को संतुष्टि नहीं मिलती थी।
दोस्तो यह तो मेरी और नीलू की बात हुई, लेकिन हम दोनों की जिंदगी में उस समय मोड़ आया जब एक पठान से मेरी दोस्ती हुई, जो उसी ब्लॉक के ऊपर वाली मंज़िल में अपनी पत्नी के साथ रहता था। उसका नाम शेरख़ान था और उसकी पत्नी का नाम जमीला था। अब बहुत जल्द हम लोगों में बहुत गहरी दोस्ती हो गई थी। शेरख़ान रंगीला मिज़ाज़ का आदमी था, वो एक बैंक में वाचमैन था, उसकी भी ड्यूटी दिन में ही रहती थी। फिर एक दिन बातों बातों में सेक्स पर बहस हो गई। अब मेरे पास तो बताने को कुछ था नहीं, बस शेरख़ान ही बोलता रहा। अब उसकी बातों से पता चल गया था कि वो सेक्स का पुराना खिलाड़ी है। फिर उसने मुझसे मेरी सेक्स लाईफ के बारे में पूछा तो पहले तो में चुप रहा। फिर उसने मुझे हौसला बढ़ाते हुए बोला कि अरे यार दोस्तों से शरमाना कैसा? बोलो नीलू भाभी पूरा मज़ा देती है कि नहीं, वो देखने से बहुत मस्त लगती है, एक चुदाई में 2-3 बार पानी तो जरूर निकालती होगी, जानते हो मर्द को अपना झड़ने से ज़्यादा औरत को झड़ाने में मज़ा आता है, में तो जमीला को जब तक 3-4 बार झड़ा नहीं लेता मेरा तो पानी निकलता ही नहीं, चुप क्यों हो? बोलो ना यार, कितनी बार पानी निकालती है नीलू भाभी? अब उसकी बात सुनकर में सन रह गया था। फिर में धीरे से बोला कि पता नहीं यार। तो वो हैरत से बोला कि क्या कहते हो? वो झड़ती है और तुमको पता नहीं होता है। तो तब वो कुछ सोचकर बोला कि अच्छा ये बताओ चूत में कितनी देर तक धक्के मारते हो?
फिर तब में ना चाहते हुए बोला कि यही कोई 2-3 मिनट तक। तब शेरख़ान अपना मुँह फाड़कर बोला कि क्या 2-3 मिनट तक बस? तब मैंने उसे देखा। तो वो बोला कि तब तो वो यह भी नहीं जानती होगी कि झड़ना क्या होता है? तो तब में उदास होकर बोला कि मेरा पहले हो जाता है तो इसमें मेरा क्या कसूर है? तो तब वो बोला कि कोई बात नहीं ऐसा अक्सर लोगों को होता है, फिर भी सब लोग अपनी पत्नियों को चुदाई का भरपूर मज़ा देते है। अब उसकी बात सुनकर मुझे भी उम्मीद जगी थी। अब में भी नीलू को पूरा मज़ा देना चाहता था, लेकिन बेबस था। फिर वो मुझे चुप देखकर बोला कि चिंता की कोई बात नहीं है, तुम चाहो तो नीलू भाभी भी एक चुदाई मे 3-4 बार झड़ने का मज़ा ले सकती है। तब मैंने हैरत से शेरख़ान की तरफ देखकर पूछा कि वो कैसे? तो तब वो बोला कि देखो यार शायद तुमको मालूम नहीं आजकल होम पार्टी का रिवाज चलता है, असल में यह खाने पीने की पार्टी नहीं होती है बल्कि उसमें लोग अपनी अपनी पत्नी को एक दूसरे की पत्नी से बदलकर सारी रात चुदाई का खेल खेलते है और इतना ही नहीं जब कोई औरत एक लंड से संतुष्ट नहीं होती, तो उसे 2-3 मर्द मिलकर चुदाई करते है।
अब उसकी बात सुनकर में तो दंग रह गया था। फिर में बोला कि किसी को पता चल गया तो? तो तब शेरख़ान हंसकर बोला कि तुम भी बिल्कुल भोले हो, इस ब्लॉक में 10 क्वार्टर है जिसमें तुम नए हो बाकि हम सब 9 एक दूसरे की पत्नी की चुदाई कर चुके है। अब उसकी बात सुनकर मुझे मस्ती आ गई थी और मेरा लंड तनकर अकड़ गया था, जिसे मैंने अपने एक हाथ से दबाया। तब शेरख़ान की नजर मेरी इस हरकत पर गई तो तब वो बोला कि लगता है तुमको सुनकर ही मस्ती आ रही है, तो जब तुम दूसरे की पत्नी को उसके पति के सामने चुदाई करोगे और उसका पति तेरे सामने तेरी पत्नी को अपने तगड़े लंड से चुदाई करेगा तो सोचो कितनी मस्ती आएगी? तो तभी उसे कुछ याद आया और बोला कि अरे यार में तो पूछना भूल ही गया, अच्छा यह बताओ तेरे लंड का साईज क्या है? तो अचानक इस सवाल पर में शर्मा गया।
फिर तब वो बोला कि अरे यार दोस्तों से शरमाना कैसा? अच्छा लो पहले मेरा देखो और इतना कहकर उसने अपना पजामा खोलकर अपने लंड को नंगा कर दिया। मैंने अपनी चोर निगाहो से उसके लंड को देखा तो में देखता ही रह गया था। उसके लंड में हल्का सा तनाव आया हुआ था, उस कम तनाव में ही उसका लंड गजब का लग रहा था और तने होने के कारण उसका सुपाड़ा पूरा खुला था। अब मैंने अंदाज़ा लगा लिया था कि उसका लंड पूरा टाईट होने पर कम से कम 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा तो जरूर होता होगा और उसके सुपाड़े की गोलाई लगभग 3 इंच के आस पास होगी, जिसका किनारा कुछ ज़्यादा ही उभरा हुआ था। फिर वो मुझे अपना लंड दिखाकर बोला कि देखो कैसा है? तो तब में सूखे हलक से बोला कि यार तेरा तो गजब का तगड़ा है।
तो तब वो बोला कि क्यों तेरा ऐसा नहीं है क्या? लाओं देखूं जरा और अब में कुछ बोल पाता कि उसने मेरी चैन खोलकर मेरा लंड बाहर निकालकर देखा और हैरत से बोला कि बस इतना बड़ा, मेरा लंड उसके लंड के सामने बच्चा सा लग रहा था। फिर वो मेरे लंड को अपनी दो उंगलियों में लेकर बोला कि भला इतने छोटे लंड से भी कोई औरत संतुष्टि पा सकती है। तब में बोला कि अगर भगवान ने ऐसा ही बनाया है तो इसमें मेरा क्या कसूर है? तो तब शेरख़ान बोला कि देखो यार बुरा मत मानना अगर औरत को भरपूर चुदाई नहीं मिली, तो वो इधर उधर मुँह मारने लगती है और फिर बदनामी होती है। तब में उदास होकर बोला कि तो क्या करूँ यार? तुम्ही बोलो। तब शेरख़ान बोला कि इसमें बोलना क्या है? बस अपनी पत्नी को होम पार्टी में शामिल कर दो और फिर शेरख़ान अफ़सोस करते हुए बोला कि बेचारी 1 साल से तुमसे चुदवा रही है, लेकिन शायद एक बार भी अपनी चूत की गर्मी नहीं निकाल पाई होगी।
अब शेरख़ान बिल्कुल ठीक कह रहा था। तो तब में झिझककर बोला कि लेकिन यार नीलू इतने अंजान मर्दो के सामने कैसे जाएगी? तो तब वो मेरी मेरी उलझन देखकर बोला कि तो ऐसा करते है नीलू भाभी को पहले में ही चोद डालता हूँ और फिर उसके बाद उसकी झिझक दूर हो जाएगी, तो में सनसना गया। अब में सोच में पड़ गया था की नीलू की चूत बहुत छोटी है, वो तो अभी भी मेरा हल्का लंड लेने में कसमसा जाती है, तो वो शेरख़ान का मुझसे दुगुना बड़ा लंड कैसे ले पाएगी? फिर भी में बोला कि लेकिन वो मानेगी तब ना? तो तब शेरख़ान बोला कि तुम इसकी चिंता मत करो, नीलू भाभी को मेरी जमीला तैयार कर लेगी और जमीला को तो तुमसे चुदवाने में कोई परेशानी नहीं होगी। बस 2-4 दिन इंतज़ार करो। फिर उसके बाद मैंने देखा कि जमीला दिन में 5-6 बार मेरे घर आती और नीलू से देर तक बातें करती और नीलू भी शेरख़ान के घर जाकर जमीला से घंटो तक बातें करती थी।
फिर एक दिन जब में रात को घर आया तो तब मैंने नीलू के चेहरे पर रंगत देखी। फिर वो जल्दी से खाना पीना ख़त्म करके बेडरूम में आई और आते ही मुझसे लिपटकर मुझे प्यार करने लगी। तब में समझ गया कि वो चुदवाना चाह रही है। अब में भी कई दिनों से भूखा था, लेकिन जिसका डर था वही हुआ। अब 10-12 धक्को में ही मेरा पानी निकल गया था। तब नीलू झुंझला गई और बोल पड़ी कि ओह आपका तो रुकता ही नहीं है। फिर में उसके दिल को टटोलने के लिए बोला कि मेरा क्या रानी सब मर्दो का ऐसा ही होता है? तो तब वो मुँह बनाकर बोली कि तुमको तो सब मर्द अपने जैसे ही लगते है। तब में बोला कि तो क्या हर मर्द का अलग-अलग होता है क्या? तो तब नीलू तुनककर बोली कि तो क्या सब आपके जैसे नहीं होते है? तो तब में बोला कि तुमको कैसे मालूम? तो इस बार वो थोड़ी रुककर धीरे से बोली कि जमीला कह रही थी। तब में बोला कि क्या कह रही थी? तो तब नीलू वो वो वो रुक-रुककर बोली कि वो बोल रही थी कि उसका आदमी तो 1-1 घंटे तक करता है।

फिर तब में चुप हो गया और सोचने लगा कि जमीला नीलू को पटरी पर ले आई है। फिर दूसरे दिन शेरख़ान बोला कि आज की सेटिंग हो गई है, आज रात जमीला नीलू भाभी को अपने घर लाने जाएगी, वो कहेगी कि नीलू आज रात मेरे घर पर रहेगी, क्योंकि ख़ान साहब बाहर जा रहे है इसलिए अकेले में डर लगता है और फिर जब नीलू मेरे पास आ जाएगी, तो कुछ देर के बाद तुम भी आ जाना, दरवाज़ा खुला रहेगा। तो तब में गुदगुदाते मन से बोला कि वो मेरे सामने चुदवाने को कैसे राज़ी होगी? तो तब वो बोला कि वो में सब ठीक कर लूँगा। फिर जब में घर आया, तो मैंने नीलू को बहुत खुश देखा, उसके चेहरे पर लाली साफ झलक रही थी। अब में समझ गया था कि नीलू शेरख़ान के तगड़े लंड से चुदवाने को उतावली हो रही है। तभी जमीला आई और बोली कि अजीत भाई आज नीलू को अपने घर ले जा रही हूँ। तब में अंजान बनते हुए बोला कि क्यों भाभी? तो तब वो बोली कि आज ख़ान साहब बाहर चले गये है इसलिए अकेले डर लगता है।
फिर मैंने सब कुछ जानते हुए भी अंजान बनकर नीलू को देखा और बोला कि लेकिन फिर यहाँ में अकेला पड़ जाऊंगा। तभी नीलू तुरंत बोल पड़ी कि एक रात ही की तो बात है, जमीला अकेली कैसे रहेगी? फिर नीलू की बेताबी देखकर में खुश होकर बोला कि ठीक है अगर तुमको कोई एतराज नहीं हो तो जाओ। तब नीलू मेरी बात सुनकर खुश होकर बोली कि खाना निकालकर खा लेना और जमीला से बोली कि चलिए भाभी। अब ऐसा लग रहा था जैसे नीलू खुद शेरख़ान के पास जाना चाह रही हो। फिर नीलू के जाने के बाद में रंगीन ख्यालों में खो गया। अब बार-बार शेरख़ान का भारी लंड मेरी नजरों के सामने घूम जाता था और यह सोच-सोचकर सिहर उठता कि जब शेरख़ान अपना मोटा लंड मेरी पत्नी की टाईट चूत में डालेगा तो नीलू कैसे कसमसा कसमसा कर पूरा लंड ले पाएगी? फिर आने वाला एक-एक पल मेरी नजरों के सामने से गुजरता रहा।

फिर लगभग आढे घंटे के बाद मेरे मोबाईल की घंटी बज़ी तो मैंने फोन उठाया। मुझे जमीला की आवाज सुनाई दी आ जाओ अपनी पत्नी की चुदाई अपनी आँखो के सामने देखो। तब मैंने पूछा कि नीलू राज़ी हो गई? तो तब वो बोली कि राज़ा आकर तो देखो पूरी नंगी होकर मेरे पति के लंड पर अपनी चूत रखकर उनकी गोद में शेरख़ान से छिपकली की तरह चिपककर बैठी है। फिर में शेरख़ान के घर गया, तो जमीला मुझे दरवाजे पर मिली। फिर जमीला मुझे अंदर करके दरवाजा लॉक करके बोली कि जूते उतारकर धीरे-धीरे आओं। फिर जब में बेडरूम के दरवाजे पर गया तो नज़ारा देखकर में लहरा गया। उस रूम में पूरी रोशनी थी और रूम के बीच में जमीन पर मोटा कारपेट बिछा था, जिस पर दो चार गोल तकिए रखे थे और बगल में एक स्टूल पर शेरख़ान अपने पैरो को लटकाकर बैठा था और मेरी पत्नी उसकी गोद में अपने पैरो को शेरख़ान की कमर में लपेटकर उसके लंड पर बैठी लंबी-लंबी साँसे ले रही थी।
अब शेरख़ान का लंड नीलू की गांड की दरार पर था, ओह इतना बड़ा लंड अब में साफ देख रहा था। शेरख़ान का लंड नीलू की गांड से बाहर तक निकला था। फिर जमीला नीलू के पास जाकर नीलू की गांड को सहलाकर शेरख़ान से बोली क्यों जी अंदर डाल दिया क्या? तो तब शेरख़ान ने मुझे देखा और बोला कि नहीं भई अभी तो मालिश ही हो रही थी। फिर जमीला नीलू की गांड सहलाकर बोली कि तो रानी रुक क्यों गई? जरा लंड की ठीक से मालिश करो ना। तब नीलू कांपते स्वर में अपनी आँखे बंद किए हुए बोली कि ओह भाभी, अब में नहीं कर पाऊंगी। तब जमीला बोली कि पगली जितनी लंड की मालिश करोगी, लंड उतना खड़ा होगा और देर तक चूत पर धक्के मारेगा। तो जमीला की बात सुनकर नीलू की गांड हरकत में आई और अपनी गांड उसके लंड पर सरकाते हुए पीछे आई, जिससे उसका लंड पूरा छुप गया था। तब नीलू ने अपने चूतड़ को आगे सरकाना शुरू किया।
फिर जमीला ने मुझे इशारा करके अपने पास बुलाया और नीलू के पीछे खड़ा करके इशारे में बोली कि देखो। अब नीलू अपनी पूरी गांड शेरख़ान के लंड पर आगे पीछे चला रही थी। फिर वो ऐसा 10 बार ही कर पाई और शेरख़ान से चिपककर मादक आवाज निकाली और अपनी गांड ज़ोर से सिकुड़ ली। तब मैंने देखा कि शेरख़ान के लटकते हुए लंड से टप-टप करके पानी की बूँद टपकने लगी थी। फिर जमीला बोली कि तुम दोनों तो मज़ा लूट रहे हो, में क्या करूँ? तो तब शेरख़ान बोला कि तुम भी अजीत से चुदवाकर मज़ा ले लो। तब जमीला बोली कि वो तो ठीक है, लेकिन नीलू बुरा मान गई तो? तो तब शेरख़ान बोला कि बुरा क्यों मानेगी? जब यह तेरे पति से चुदवा रही है तो तुम भी इसके पति का लंड अपनी चूत में डलवा लो। तब जमीला नीलू के कान में बोली कि क्यों रानी में अजीत से चुदवाऊँगी तो बुरा तो नहीं मानोगी? तो तब नीलू धीरे से बोली कि नहीं।
फिर जमीला शेरख़ान से बोली कि तो में जाती हूँ। तो तब शेरख़ान बोला कि जाने की क्या जरूरत है? अजीत को यही बुला लो। तभी नीलू बोल पड़ी कि नहीं नहीं यहाँ मत बुलाओ, हाए राम वो क्या सोचेंगे? तब जमीला बोली कि तुम उल्टा सोचती हो, अभी तुम चुपके-चुपके चुदवा रही हो तो इतना मज़ा आ रहा है और फिर जब अपने पति के सामने उसकी रज़ामंदी से खुलकर चुदवाओगी तो कितना मज़ा पाओगी? तो तब शेरख़ान भी बोल पड़ा हाँ मेरी बुलबुल जमीला ठीक कह रही है, पहली बार सब डरती है कि उसके पति को मालूम होगा तो क्या होगा? लेकिन तुमको मालूम नहीं कि पति को सबसे ज़्यादा मज़ा अपनी पत्नी को दूसरे से चुदवाते हुए देखने में आता है और वैसे भी अजीत मुझसे कह रहा था कि वो तुमको चुदाई का मज़ा नहीं दे पाता है, वो तो खुद ही कह रहा था कि अगर नीलू मज़ा लेना चाहती है तो ले सकती है। फिर शेरख़ान की बात सुनकर नीलू फिर से अपनी गांड सिकुड़कर बोली कि हाए राम वो ऐसा बोले। तब जमीला उसके चूतड़ पर थपकी मारकर बोली कि तो बुला लूँ अजीत को। तब नीलू फिर भी चुप रही।
तब जमीला बोली कि तू डरती क्यों है? अजीत को में समझा दूँगी देखना, जब अजीत के सामने अपनी चूत में इनका लंड डलवाएगी तो कितनी मस्ती आएगी? में तो उस वक्त हवा में उड़ने लगती हूँ जब ये अपने हाथों से अपने दोस्त का लंड पकड़कर मेरी चूत में सेंटर करते है, ऊफ में तो सोचकर ही पानी-पानी हो जाती हूँ, देखना जब तेरा पति इनका लंड अपने हाथों से तेरी चूत में सेंटर में करके बोलेगा कि लो शेरख़ान घुसाओ अंदर। तो तब नीलू इस बार अपनी गांड को ज़ोर से सिकुड़कर मस्ती में लहराई हाए लंड डालो ना अंदर। तब शेरख़ान नीलू के चेहरे को सामने करके उसके होंठो को चूमकर बोला कि तो बुला लूँ अजीत को? अब नीलू उन दोनों की बातें सुनकर इतनी मस्त हो गई थी कि मेरे सामने चुदवाने को राज़ी हो गई थी और बिना आँखे खोले फुंसफुसाकर बोली कि बुलाओ ना जल्दी, बहुत खुजली हो रही है, डालो ना अंदर। तब जमीला खुश होकर बोली कि बस रानी 2 मिनट में आ ज़ाएगा और मुझे इशारा करके शेरख़ान के पीछे आने को बोली। में शेरख़ान के पीठ के पीछे खड़ा हो गया।


अब शेरख़ान ने नीलू का चेहरा अपने दोनों हाथों में लेकर सामने किया हुआ था। अब नीलू का पूरा चेहरा मस्ती में लाल हो गया था। फिर शेरख़ान बोला बुलबुल अपनी आँखे खोलो रानी। तब नीलू ने धीरे- धीरे अपनी आँखे खोली, तो सामने मुझे देखकर थोड़ी दुखी हुई। फिर हम दोनों की नजरें एक हुई, उफफ्फ उसकी आँखो में जैसे खून उतर आया था, उसका एकदम लाल-लाल चेहरा पूरा तमतमाया हुआ था और फिर दूसरे पल नीलू ने शेरख़ान से लिपटकर अपना चेहरा उसके सीने में छुपा लिया। तब शेरख़ान अपने एक हाथ से उसकी पीठ और अपने दूसरे हाथ से उसके चूतड़ को सहलाते हुए बोला कि क्या हुआ रानी? इधर देखो ना। तब नीलू सूखे स्वर में धीरे से बोली कि हाए राम मुझे शर्म आती है।
फिर इस बार में नीलू के साईड में आकर शेरख़ान से अलग करके उसकी आँखो में अपनी आँखे डालकर बोला कि में जानता हूँ तुमको मुझसे संतुष्टि नहीं मिलती है, शेरख़ान हम लोगों का खास दोस्त है इनको भी अपना ही समझो और दिल खोलकर जवानी का मज़ा लूटो। तब नीलू मेरे सीने पर अपना सर रखकर सिसक पड़ी और बोली कि आप इंसान नहीं देवता है। तब में नीलू के आँसू पोंछते हुए बोला कि अरे पगली अभी रोने का समय नहीं है, अभी तो मेरे दोस्त का तगड़े लंड का मज़ा लेने का समय है। तो तभी जमीला ने नीलू को शेरख़ान के ऊपर से उठाकर खड़ा किया। अब में पहली बार शेरख़ान का फुल टाईट लंड देख रहा था, जो नीलू की चूत के पानी से भीगकर चमक रहा था। अब नीलू की चूत भी चारों तरफ पानी से भीगी थी, उसने क्लीन शेव कर रखा था। फिर जमीला नीलू को नीचे जमीन पर लाकर बोली कि तुम लोग वही खड़े रहोंगे या यहाँ भी आओगे। दोस्तों फिर शेरखान ने नीलू की चुदाई की और मैंने कैसे जमीला की चुदाई की ।।
धन्यवाद …

Friday, 27 April 2018

कल्पना की मस्त जबरदस्त चुदाई

 कल्पना की मस्त जबरदस्त चुदाई

हैल्लो दोस्तों, में सेक्सी मुनेश आज अपनी एक और स्टोरी लेकर आपके सामने आया हूँ। में आशा करता हूँ कि आपको मेरी स्टोरी बहुत पसंद आएगी, तो अब स्टोरी शुरू की जाए। हाँ तो दोस्तों अभी तो में एक मल्टीनेशनल कम्पनी में इंजिनियर हूँ, लेकिन ये बात तब की है, जब में फाइनल ईयर का स्टूडेंट था। हमारी क्लास में टोटल 66 स्टूडेंट्स थे, जिनमें 22 गर्ल्स थी, उन्ही में से एक थी कल्पना। फिर जब हमारी रिपोर्टिंग हुई तो मैंने उसे पहली बार देखा था और सोचा था कि इसे तो में अपनी गर्लफ्रेंड बनाऊंगा, चाहे कुछ भी करना पड़े। फिर हमारी Ist ईयर की क्लास स्टार्ट हुई। अब मैंने पहले दिन से ही क्लास लेना स्टार्ट कर दिया था, क्योंकि अब में कोई चान्स नहीं लेना चाहता था कि कोई और कल्पना पर नजर डाले। फिर वो 4 दिन के बाद कॉलेज आई। फिर कुछ दिन के बाद रैगिंग दौरान मेरे एक सीनियर ने मुझसे पूछा कि मुझे क्लास में सबसे ज़्यादा कौन सी लड़की पसंद है? तो मैंने कहा कि कल्पना। अब बस मैंने तो इतना ही कहा था और मेरे गाल पर एक जोरदार थप्पड़ पड़ा, तो बाद में मुझे पता चला कि वो उस सीनियर की कज़िन है।
अब तो मेरा इरादा और पक्का हो गया था, क्योंकि मुझे उसकी वजह से थप्पड़ भी पड़ चुका था। अब में कल्पना से क्लास में थोड़ी बहुत बातें करता था, हालाँकि में शुरू से ही को-एड स्कूल में पढ़ा हूँ, लेकिन कभी मैंने लड़कियो को भाव नहीं दिया था, क्योंकि में क्लास का दूसरा टॉपर था और लड़कियाँ खुद ही मेरे पास आती थी, लेकिन यहाँ की बात ही कुछ और थी। अब कॉलेज का पहला फ्रेंडशिप-डे था। अब सभी एक दूसरे को बैंड बाँध रहे थे। फिर में फ्रेंडशिप बैंड लेकर कल्पना के पास गया और उसे वो एक्सेप्ट करने के लिए कहा। तो तब उसने मुझे देखा और उस बैंड को देखा और कहा कि तुम्हारी मुझे दोस्ती का प्रस्ताव देने की हिम्मत कैसे हुई? क्या हो तुम? उसने सारी क्लास के सामने मुझसे ऐसा कहा था।
मुझे उस वक़्त इतना बुरा लगा था कि क्या बताऊँ? मेरी इतनी बेइज़्ज़ती कभी नहीं हुई थी। तब तक तो में सिर्फ़ कल्पना से दोस्ती करना चाहता था, लेकिन उसे चोदूंगा या और मेरी कुछ ऐसी कोई चाहत नहीं थी, लेकिन उस दिन मैंने सोच लिया था कि इस दिन का बदला में जरूर लूँगा। फिर उसके बाद मेरे कई अच्छे दोस्त बन गये, उनमें कई लड़कियाँ भी थी, क्योंकि में हमेशा से पढ़ाई में और प्रेक्टिकल्स में सबकी मदद करता था। अब हम IInd ईयर में आ गये थे, हमारे क्वालिटी ग्रुप बने तो उसमें कल्पना भी थी। में हमारे ग्रुप का सबसे बुद्धिमान स्टूडेंट था, अब सबको मेरी मदद चाहिए होती थी। में सबकी मदद करता था, ख़ासकर प्रेक्टिकल में कल्पना की भी करता था, लेकिन उससे उस दिन के बाद कभी बात नहीं की थी, इस बार फ्रेंडशिप-डे पर कल्पना ने मुझे प्रपोज़ किया, लेकिन मैंने उसे मना कर दिया था। लेकिन मेरे क्वालिटी ग्रुप मेंबर्स के कहने पर मैंने बैंड बँधवा लिया, लेकिन मैंने बात तब भी नहीं की थी, वक़्त सारी बातो को भुला देता है।
अब हम सभी सब कुछ भूलकर मस्ती और पढ़ाई करने लगे थे। अब कप्लना मेरी गर्लफ्रेंड बन चुकी थी और सारा कॉलेज इस बात को जानता था। फिर मैंने 15 फरवरी 2016 को कल्पना से मेरे साथ मेरे मामा जी की लड़की की शादी में चलने को कहा तो उसने हाँ कर दिया, बाकी फ्रेंड्स भी हमारे साथ थे, अब में यहाँ एक बात बताना चाहूँगा कि हम दोनों ही हॉस्टल में रहते थे। अब 18 फरवरी को हम मेरे मामा जी के घर पर थे, हम कॉलेज से 8 दिन की छुट्टी लेकर आए थे, टीचर्स से संपर्क होने के कारण हमें कोई परेशानी नहीं थी। शादी 21 फरवरी की थी, अब मस्ती में शादी कंप्लीट हो गयी थी।
फिर उसके बाद मेरे सारे फ्रेंड्स अपने शहर चले गये। तब कल्पना ने भी कहा तो मैंने उसे नहीं जाने दिया। फिर में उसे अपने शहर लेकर आया, मेरे सारे फेमिली मेंबर्स अभी मामा जी के यहाँ ही थे और अगले 5 दिन तक नहीं आने वाले थे। फिर मैंने पड़ोस की आंटी से चाबी ली और सीधा बेड पर जाकर गिरा। फिर कप्लना ने हम दोनों के लिए चाय बनाई। फिर मैंने उसे अपना पूरा घर दिखाया और नहाने चला गया। अब कल्पना कंप्यूटर पर गाने सुन रही थी। फिर में बाथ लेकर बाहर आया तो मैंने देखा कि कल्पना का गोरा चेहरा एकदम लाल हो रहा था और वो तेज-तेज साँसे ले रही थी। फिर जब मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ? तो उसने कहा कि कुछ नहीं और तेज़ी से अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गयी। अब मेरी समझ में कुछ भी नहीं आया था, उसने गाने बंद कर दिए थे। तब मैंने सोचा कि में गाने स्टार्ट करता हूँ। फिर जैसे ही मैंने विंडो मीडीया प्लेयर ओपन किया, उसमें जो फाईल ऑलरेडी स्टोर थी वो प्ले हो गयी थी और उसे देखते ही मेरी समझ में सब कुछ आ गया था। दरअसल यह कंप्यूटर मेरे छोटे भाई जितेंद्र के लिए है, जो बी.सी.ए का छात्र है। अब उस पर ब्लू फिल्म लोड थी।
फिर जब मैंने ध्यान से देखा है तो ग्रिल एंजेलिना जॉली पूरी नंगी होकर डांस कर रही थी। फिर मैंने देखा तो वो सारी क्लीप थी, जो हॉलीवुड मूवी में होती तो है, लेकिन जब उन्हें इंडिया में रिलीज करते है तो हटा देते है। अब मुझे मज़ा आने लगा था और जितेंद्र पर हँसी भी आ रही थी, लेकिन वो भी तो लड़का है उसकी भी तो कुछ इच्छा होती होगी। फिर में उन्हें देखता रहा, वो एक से एक शानदार क्लिप थी, बेसिक इन्सिट का वो सीन भी था जिसकी वजह से उस एक्ट्रेस का तलाक हो गया था। तो तभी अचानक से मुझे ध्यान आया की बहुत देर हो गयी है, लेकिन कल्पना अभी तक बाथ लेकर नहीं आई। अब मेरा लंड तो टाईट होना ही था। अब में सोच रहा था कि क्यों ना कल्पना को चोदा जाए? अब घर में हम दोनों ही थे और कोई डर भी नहीं था। अब वो भी उत्तेजित थी और इधर में भी था।


फिर में चुपके से बाथरूम के पास गया, लेकिन वहाँ कोई आवाज नहीं थी तो मैंने एक बार तो सोचा कि कल्पना को आवाज़ दूँ, लेकिन मैंने धीरे से दरवाजे पर हाथ रखा तो वो खुल गया, यानि दरवाजा अंदर से लॉक नहीं था। तो मैंने देखा कि कल्पना अपने दोनों पैर फैलाकर बैठी थी और अपनी चूत को रगड़ रही थी। अब मेरा लंड तो पहले से ही टाईट था और अब इस सीन को देखकर तो वो मेरी पेंट से बाहर आने को तड़पने लगा था। तो तब मैंने कुछ भी नहीं सोचा और अपने सारे कपड़े बाहर ही उतारकर एकदम से अंदर चला गया। तो कल्पना मुझे देखकर एकदम चौंक गयी, लेकिन मुझे भी नंगा देखकर उसने अपना मुँह दूसरी तरफ कर किया था। फिर में उससे बोला
में : क्या हुआ मेरी जान? तुम भी नंगे हम भी नंगे, तो अब शर्म कैसी?
कल्पना : बदमाश बाहर जाओ।
में : नहीं जाऊंगा, में तो तुम्हें प्यार करूँगा, बोलो क्या करोगी?
कल्पना : तो में भी तुम्हें प्यार करूँगी।
अब मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया था और उसके गले पर किस करने लगा था।
कल्पना : प्लीज मुझे और मत तड़पाओ, इतनी देर से तो तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ।
अब में उसके लिप्स पर किस करने लगा और उसकी चूत पर अपना एक हाथ फैरने लगा था। अब वो पूरी तरह एग्ज़ाइटेड थी। फिर उसने अपने हाथ जोड़कर कहा कि प्लीज अब मुझे और मत तड़पाओं, अगली बार जब करो तो चाहे जैसे करना, लेकिन इस बार मेरी चूत में अपना लंड डालकर इसकी खुजली मिटा दो, वरना में पागल हो जाउंगी। तब मैंने कहा कि ठीक है और फिर मैंने उसे बाथरूम के गीले फर्श पर ही लेटा दिया। उसकी चूत पर छोटे-छोटे बाल उगे हुए थे, ऐसा लग रहा था कि उसने कुछ दिन पहले ही शेविंग की है। फिर मैंने अपने लंड को अपने एक हाथ में पकड़ा और उसकी चूत पर टिका दिया और हल्का सा आगे दबाया, लेकिन मेरा लंड फिसलकर नीचे चला गया था। फिर मैंने कुछ सोचा और वहाँ रखी क्रीम लेकर आया और उसे अपनी उँगली पर लेकर उसकी चूत में अंदर तक लगाई और थोड़ी अपने लंड पर भी लगाई। फिर मैंने उसके दोनों पैर अपने कंधो पर रख लिए, तो उसने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत के मुहाने को और वाइड करने की कोशिश की तो मैंने एक बार फिर से अपना लंड कल्पना की चूत पर टिकाया और कहा कि डालूँ क्या? तो तब उसने कहा कि हाँ। फिर मैंने एकदम ज़ोर से शॉट मारा तो मेरा लगभग 2 इंच लंड घुसा, लेकिन वो एकदम से चिल्लाने लगी ओह मम्मी में मर गयी, प्लीज मुनेश निकाल इसे बाहर, वरना में मर जाउंगी, प्लीज में तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ निकालो इसे, मुझे नहीं चुदवाना। अब उसकी आँखो में आँसू आ गये थे।

फिर मैंने सोचा कि अगर इसे बाहर निकाल लिया, तो ये दुबारा डालने ही नहीं देगी इसलिए मैंने कहा कि ठीक है निकालता हूँ और उसके बूब्स को दबाने लगा था और उसके लिप्स पर किस करने लगा था। फिर थोड़ी देर के बाद कल्पना थोड़ी रिलेक्स हुई तो मैंने अपने लंड को थोड़ा हिलाया, लेकिन वो फिर से मना करने लगी थी। फिर मैंने कहा कि अरे में डाल नहीं रहा, निकाल रहा हूँ और फिर जैसे ही उसने अपनी बॉडी को रिलेक्स किया तो मैंने एकदम से जोरदार शॉट मारा तो मेरा आधे से ज्यादा लंड अंदर चला गया। तभी उसके मुँह से आवाज निकली आह मम्मी मार डाला मुझे, ओह मम्मी, मैंने तुम्हें मना किया था ना मत डालना, लेकिन तुम नहीं माने, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, में मर जाउंगी, आआहह, ओह, ओह, माँ मार डाला इसने मुझे, अब वो ऐसे चिल्लाने लगी थी और रोने लगी थी। तब मैंने सोचा कि शायद बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला। अब इसके लिए भी मुझे थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ा था।
फिर जैसे ही मेरा लंड बाहर आया तो उसे देखकर तो मेरी जान ही निकल गयी थी, क्योंकि अब मेरा पूरा लंड खून से सना हुआ था और कल्पना की चूत से भी खून टपक रहा था। फिर उसे देखते ही वो बोली कि ओह माई गॉड तुमने तो मेरी चूत फाड़ दी, देखो कितना खून आ रहा है? आअहह, ऊऊहह, ओह मम्मी और फिर रोने लगी। मैंने फिर से उसके लिप्स चूसना और बूब्स दबाना स्टार्ट किया, लेकिन इस बार उसने मुझे अपना लंड दुबारा से नहीं डालने दिया था। फिर लगभग 15-20 मिनट के बाद वो रिलेक्स हुई तो मैंने अपना लंड फिर से उसकी चूत में घुसाना चाहा तो उसने कहा
कल्पना : नहीं मुझे नहीं चुदवाना, मेरी जान निकाल दी तुमने।
में : पहले तो बोल रही थी चोदो वरना में मर जाउंगी, पागल हो जाउंगी।
कल्पना : मुझे क्या पता था कि इतना दर्द होता है?
में : ओके, अब में धीरे से घुसाऊँगा और दर्द भी नहीं होगा, अगर हुआ तो स्टार्ट में थोड़ा सा होगा और फिर तुम्हें जन्नत का मजा आएगा।
फिर जैसे तैसे करके मैंने उसे मनाया और अब मैंने सोच लिया था कि इस बार नहीं मानूँगा। फिर मैंने दुबारा से अपने लंड पर थोड़ी क्रीम लगाई और अपने लंड को कल्पना की खून से सनी चूत पर रखा और अपने पूरे दम से एक धक्का मारा तो कल्पना की आँखे बाहर होने को आई। अब वो ऐसे तड़पने लगी थी जैसे मछली को पानी से बाहर निकालने पर वो तड़पती है। अब उसने छूटने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन मैंने उसे जाने नहीं दिया था और उसके लिप्स पर अपने लिप्स रखकर धक्के लगाने लगा था। अब वो रोने लगी थी, लेकिन में नहीं माना।


फिर 3-4 मिनट के बाद वो थोड़ी रिलेक्स लगने लगी तो मैंने अपने लिप्स उसके लिप्स से हटाए। तब वो बोली कि ऐसा लगता है आज मुझे मारकर ही मानोगे, तुम सेक्स कर रहे हो या रेप कर रहे हो, हटो वरना में चिल्लाऊँगी, लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा और अपने धक्के लगाना जारी रखा। फिर थोड़ी देर के बाद कल्पना को भी मज़ा आने लगा था ऑश, आहह और अंदर डालो, मेरी चूत के टुकड़े-टुकड़े कर दो, ओह मेरे राजा, मुझे क्या पता था चुदाई में इतना मज़ा आता है? और ज़ोर से, मेरी चूत का भोसड़ा बना डालो, चोदो मुझे और ज़ोर से धक्के मारो, इस तरह से वो चिल्लाने लगी थी। अब घर में कोई नहीं था इसलिए हमें किसी तरह की कोई चिंता नहीं थी। तभी अचानक से कल्पना बोली कि अब में तुम्हें चोदूंगी और फिर वो मुझे नीचे लेटाकर खुद मेरे ऊपर आ गयी और ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगी थी।
अब वो मेरे ऊपर से धक्के लगा रही थी और में नीचे धक्के लगा रहा था। अब ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई कॉम्पीटिशन चल रहा है, ओह मेरे राजा, मेरे मुनेश ऐसा लग रहा है जैसे में हैवान हूँ, चोदो मुझे, वाह मेरे राजा, आज मेरी चूत को फाड़ ही डालो और तभी अचानक से बोली कि आह में आ रही हूँ। तब मैंने कल्पना को नीचे पटका और तूफ़ानी रफ़्तार से धक्के मारने लगा। तभी अचानक से कल्पना एकदम से मुझसे चिपक गयी। तब में समझ गया कि ऐसा क्यों हुआ है? और फिर एक दो धक्के के बाद में भी खल्लास हो गया। फिर हम दोनों वही फर्श पर लेटे रहे ।।
धन्यवाद …